सनातन धर्म में दश महाविद्याओं का विशेष महत्व है। इन दस महाविद्याओं में से एक हैं देवी धूमावती। देवी धूमावती को विधवा देवी के रूप में जाना जाता है, जिनका स्वरूप भयावह किन्तु अत्यंत कल्याणकारी है। उनका पूजन विशेष रूप से तंत्र मार्ग के साधकों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
धूमावती अष्टक स्तोत्र एक ऐसा स्तोत्र है जो देवी धूमावती की महिमा का वर्णन करता है और साधक को उनके शरण में जाकर भय, दरिद्रता, रोग, शत्रु और तमोगुण से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाता है।
धूमावती अष्टक स्तोत्र देवी धूमावती की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसकी साधना करने से साधक को अदृश्य शक्ति, तंत्र सिद्धि, शत्रु नाश और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
धूमावती देवी का स्वरूप
धूमावती का नाम ‘धूम’ अर्थात् धुआँ और ‘अवती’ अर्थात् वह जो उसमें स्थित हो — इस प्रकार बना है। देवी का स्वरूप वृद्धा स्त्री का है, जो एक रथ या कौवे पर सवार होती हैं। उनके हाथों में कभी झंडा, कभी झाड़ू, कभी कपाल होता है। वे जीवन के अस्थिर, दुखमय और विरक्त रूप को दर्शाती हैं।
धूमावती देवी प्रतीकात्मक स्वरूप:
वृद्धा रूप – अस्थायी संसार और वैराग्य का प्रतीक
धूम – माया और भ्रम की स्थिति
कौवा – अपशकुन और मृत्यु का प्रतीक
झंडा/झाड़ू – तमोगुण, दरिद्रता, और विनाश का प्रतीक
धूमावती अष्टक स्तोत्र का महत्व
धूमावती अष्टक स्तोत्र आठ श्लोकों का एक स्तोत्र होता है जो विशेष रूप से स्तुति, आराधना और प्रार्थना हेतु रचा गया होता है। धूमावती अष्टक में देवी के भयावह परंतु रक्षणकारी रूप की स्तुति की जाती है। धूमावती अष्टक स्तोत्र का पाठ करने से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
अदृश्य भय से मुक्ति
शत्रु बाधा का नाश
कालसर्प दोष और ग्रह दोषों से राहत
तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति
मानसिक संतुलन और आत्मबल की वृद्धि
व्यापार में बाधा दूर करना
आध्यात्मिक उन्नति
यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो कठिन जीवन परिस्थितियों, वियोग या मानसिक अशांति से जूझ रहे हों।
पाठ विधि (पाठ करने की विधि)
स्थान चयन: एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठें।
स्नान एवं शुद्धि: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंत्र ध्यान: धूमावती देवी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र का उच्चारण करें:
“धूं धूं धूमावत्यै स्वाहा।”
दीपक प्रज्वलन: सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
नैवेद्य: नीम की पत्तियाँ, काली मिर्च और रोटी का भोग लगाएं।
अष्टक पाठ: धूमावती अष्टक स्तोत्र का ध्यानपूर्वक पाठ करें।
जप माला: पाठ के बाद देवी के बीज मंत्र की कम से कम एक माला जप करें।
धूमावती देवी की उपासना के विशेष दिन
अमावस्या (विशेषतः शनि अमावस्या)
गुप्त नवरात्रि
धूमावती जयंती (ज्येष्ठ मास की अमावस्या)
इन तिथियों पर स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है।
तांत्रिक साधना में धूमावती का महत्व
तंत्र साधना में धूमावती देवी की विशेष भूमिका है। तांत्रिकों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। साधना करते समय यदि साधक का मन चंचल हो या भटकाव महसूस हो तो धूमावती अष्टक स्तोत्र का पाठ उसे स्थिरता और एकाग्रता प्रदान करता है।
धूमावती अष्टक स्तोत्र सावधानियाँ
धूमावती की साधना को रहस्यात्मक और गंभीर माना जाता है। बिना गुरु के मार्गदर्शन के तांत्रिक साधना न करें।
स्तोत्र का पाठ श्रृद्धा, श्रद्धा और संयम के साथ करें।
केवल सत्प्रयोजन के लिए देवी की आराधना करें।
धूमावती अष्टक स्तोत्र
ॐ नमो भगवत्यै धूमावत्यै चण्डायै चण्डविनाशिन्यै
सर्वदुष्टग्रहविनाशिन्यै सर्वविघ्नप्रशमनायै
सर्वपापप्रशमनायै सर्वरोगनिवारिण्यै सर्वशत्रुनाशिन्यै
धूमावत्यै नमः॥
श्मशानवासिनी देवी कपालमालालंकृता।
चामुण्डा चण्डमुण्डघ्नी धूम्रा धूमावती शिवा॥१॥
विधवावेषधारिणी वृद्धरूपधरा शुभा।
दुर्गा दुःखप्रशमिनी शत्रुनाशकरी सदा॥२॥
शूर्पहस्ता शूलधरा निराश्रया निरामया।
कालरात्रिरूपधारिणी सदा विजयदायिनी॥३॥
निर्लज्जा निर्माया च निराकारप्रदायिनी।
महाविनाशिनी माया सर्वमोहविनाशिनी॥४॥
श्मशानक्रीड़िनी देवी भूतप्रेतप्रबोधित।
कङ्कालरूपधारिणी सर्वसिद्धिप्रदायिनी॥५॥
तपस्विनी योगनिष्ठा ब्रह्मज्ञाना सुविग्रहा।
सर्वज्ञानस्वरूपा च सर्वतत्त्वप्रकाशिनी॥६॥
ध्याननिष्ठा विरक्ताङ्गी कामक्रोधविवर्जिता।
योगिनी योगयुक्ता च तुरीया ज्ञानदायिनी॥७॥
नमः प्रचण्डचण्डायै कालरात्र्यै नमोऽस्तु ते।
नमः श्मशाननिलयायै धूम्रवर्णे नमो नमः॥८॥
इति श्रीधूमावत्यष्टकस्तोत्रं सम्पूर्णम्।
धूमावती अष्टक स्तोत्र केवल एक स्तोत्र नहीं बल्कि साधक की आत्मा और ब्रह्मांड के रहस्यों को जोड़ने वाला एक साधन है। यह हमें जीवन की कठोर सच्चाइयों को स्वीकारने, शक्ति पाने और आत्मिक उन्नति की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। ध्यान रखें, यह स्तोत्र भले ही रहस्यमय प्रतीत हो, लेकिन श्रद्धा और नियमितता से इसका पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं।
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FAQs”
प्रश्न 1: क्या धूमावती देवी की साधना से डरना चाहिए?
उत्तर: नहीं, यदि साधना सही विधि और श्रद्धा से की जाए तो डरने की आवश्यकता नहीं है। वे रक्षक स्वरूपा हैं।
प्रश्न 2: क्या यह स्तोत्र गृहस्थ लोग भी पढ़ सकते हैं?
उत्तर: हां, यदि आप जीवन में समस्याओं से जूझ रहे हैं तो यह स्तोत्र आपकी सहायता कर सकता है। लेकिन अत्यधिक गहराई में जाने से पहले मार्गदर्शन अवश्य लें।
प्रश्न 3: धूमावती अष्टक का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: अमावस्या के दिन सुबह या मध्य रात्रि के समय इसका पाठ विशेष फलदायक होता है। नियमित रूप से भी कर सकते हैं।
प्रश्न 4: क्या स्त्रियाँ इस स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हां, स्त्रियाँ भी इसका पाठ कर सकती हैं, विशेष रूप से यदि वे मानसिक शांति, भय निवारण और साधना की इच्छुक हों।
प्रश्न 5: क्या धूमावती अष्टक स्तोत्र से तंत्र बाधा दूर होती है?
उत्तर: हां, यह स्तोत्र तांत्रिक बाधाओं और काले जादू से बचाव के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।