हनुमान तांडव स्त्रोत पाठ विधि: संपूर्ण पूजन प्रक्रिया, नियम और लाभ

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हनुमान तांडव स्त्रोत पाठ विधि: संपूर्ण पूजन प्रक्रिया, नियम और लाभ

हनुमान तांडव स्त्रोत भगवान हनुमान के प्रति भक्ति को व्यक्त करने वाला एक प्रमुख मंत्र है, जो उनकी शक्ति, साहस, और भक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह स्त्रोत खासकर उनके  समर्पण को दर्शाने के लिए गाया जाता है। इसमें भगवान हनुमान की वीरता, शक्ति और उनका दिव्य रूप वर्णित किया गया है।

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हनुमान तांडव स्त्रोत का महत्व:

हनुमान तांडव स्त्रोत को विशेष रूप से श्रद्धा और भक्ति भाव से गाया जाता है। यह स्त्रोत व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। साथ ही, यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह मंत्र व्यक्ति की नकारात्मकता को समाप्त करने और उसे सकारात्मकता की ओर अग्रसर करने का कार्य करता है।

हनुमान तांडव स्त्रोत के लाभ:

शक्ति वर्धन: यह स्त्रोत भगवान हनुमान की असीम शक्ति और साहस को प्रदर्शित करता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक बल की वृद्धि होती है।

मन की शांति: हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है और शांति प्रदान करता है।

रोगों का नाश: यह स्त्रोत शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

सिद्धि और सफलता: हनुमान तांडव स्त्रोत का नियमित पाठ जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।

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हनुमान स्त्रोत पाठ विधि

भगवान हनुमान को संकटमोचक और भक्तों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। हनुमान स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मबल, और जीवन के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। सही विधि से पाठ करने पर इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

🕉️ 1. पाठ का उपयुक्त समय

  • सर्वश्रेष्ठ समय:

    • मंगलवार और शनिवार (हनुमानजी का प्रिय दिन)

    • सूर्योदय के समय या संध्या वेला (प्रातः 6 से 8 या शाम 5 से 7)

  • विशेष दिन: अमावस्या, पूर्णिमा, हनुमान जयंती

🛕 2. पाठ का स्थान

घर में मंदिर/पूजा स्थल या किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर करें।

उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

🧼 3. तैयारी

स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।

भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

लाल या केसरिया आसन पर बैठें।

🌺 4. पूजन सामग्री

लाल पुष्प, चमेली का तेल, सिंदूर, दीपक, अगरबत्ती, लड्डू (विशेष रूप से बूंदी के लड्डू)

एक तांबे या पीतल के पात्र में जल

🙏 5. आरंभिक पूजन विधि

  1. भगवान गणेश और कुलदेवता का स्मरण करें।

  2. फिर हनुमानजी का ध्यान करें:
    “ॐ रामदूताय नमः” का 11 बार जप करें।

  3. दीप प्रज्वलित करें और उन्हें सिंदूर अर्पित करें।

📖 6. पाठ विधि (Hanuman Stotra Paath)

पहले शुद्ध उच्चारण के साथ “हनुमान स्त्रोत” का पाठ करें।

यदि आप हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, या हनुमानाष्टक भी जानते हैं तो पाठ के अंत में जोड़ सकते हैं।

पाठ के बाद “आरती  जरूर करें।

हनुमान तांडव स्त्रोत

वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं। वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न॥

भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥१॥

सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥

सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥३॥

सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥४॥

प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥५॥

नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥६॥

रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥७॥

नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम्॥८॥

इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥९॥

नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥

ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्॥

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FAQs”

प्रश्न 1: हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ कब और कैसे करें?

उत्तर: हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को किया जाता है। इसे 108 बार या 1 माला (108 मंत्र) का जाप करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। पाठ को शुद्धता और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।

प्रश्न 2: क्या हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ सभी को करना चाहिए?

उत्तर: हां, यह स्त्रोत सभी को पढ़ने के लिए उपयुक्त है, विशेष रूप से उन लोगों को जिनके जीवन में कठिनाइयाँ हैं या जो मानसिक शांति की तलाश में हैं।

प्रश्न 3: क्या हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?

उत्तर: हां, हनुमान तांडव स्त्रोत का पाठ मंदिर में या घर के स्वच्छ और शांत स्थान पर करना बेहतर होता है।

प्रश्न 4: क्या हनुमान तांडव स्त्रोत के पाठ से कोई दैवीय शक्ति प्राप्त होती है?

उत्तर: हां, हनुमान तांडव स्त्रोत का नियमित पाठ व्यक्ति को मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचाता है। साथ ही, यह भगवान हनुमान के आशीर्वाद से व्यक्ति को सफलता और सिद्धि भी प्रदान करता है।

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