महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने का मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने का मुहूर्त बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस विशेष दिन पूजा का समय अत्यंत अनुकूल माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन, पूजा का सर्वोत्तम समय रात्रि के प्रारम्भिक समय, यानी सूर्यास्त के ठीक पहले का होता है। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है और व्रत की समाप्ति भी की जाती है। इस दिन श्रद्धालु भक्त शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अभिषेक करते हैं और अपने मन की पूर्णता के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, उन्हें रात्रि के विशेष समय में शिव की भक्ति करने का भी अवसर मिलता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं : परिचय
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं भगवान शिव की महिमा को स्तुति और स्मरण करने के लिए एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के महात्म्य का वर्णन करता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: अर्थ और महत्व
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं का अर्थ है “भगवान शिव की पंचाक्षरी मंत्र की स्तुति”। यह स्तोत्र भगवान शिव के गुणों की प्रशंसा करता है और उनके ध्यान की महत्ता को बताता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: प्रमुख श्लोक
इस स्तोत्र के प्रमुख श्लोकों में भगवान शिव की महिमा, गुण, और कृपा का वर्णन किया गया है। इन श्लोकों का पाठ करने से भक्त का मन भगवान की ओर लगता है और उसे आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: ध्यान और लाभ
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का ध्यान करने से भक्त को चिंता, भय, और दुःख का सामना करने की क्षमता मिलती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: भगवान शिव की महिमा
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र में भगवान शिव की महिमा का उल्लेख है। इसमें भगवान शिव के गुणों, कल्याणकारी स्वरूप, और उनके शक्ति स्तुति की गई है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: पाठ कैसे करें
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने के लिए सुबह-सुबह विशेष ध्यान देना चाहिए। इसका पाठ करते समय ध्यान और श्रद्धा से प्रत्येक श्लोक को सुनना चाहिए।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: प्रभाव
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को मन की शांति, आत्मिक उत्थान, और संतुलन मिलता है। यह स्तोत्र उसे आत्मनिर्भरता, साहस, और उत्साह का संदेश देता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: भक्ति में वृद्धि
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि होती है। भक्त भगवान शिव के प्रति अधिक श्रद्धा और विश्वास रखता है।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: संबंधित कथाएँ
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से संबंधित विभिन्न कथाएं और पुराणों में भगवान शिव की महिमा और उनके लीलाएं विस्तार से वर्णित हैं।
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं: उपासना
शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की उपासना करने में अधिक लगाव आता है। भक्त भगवान शिव की भक्ति में अधिक समर्पित होता है।
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शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्
श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय
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धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय।
नामशेषितानमद्भावसिन्धवे नमः शिवाय
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पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय ॥१॥
कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय
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शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय ।
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय
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पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय ॥२॥
इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय
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दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय ।
वृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय
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अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय ॥३॥
आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय
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पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय।
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय
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शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय ॥४॥
व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय
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हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय ।
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय
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कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय ॥५॥
ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय
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जिह्मगेन्द्रकुण्डल प्रसिद्ध ते नमः शिवाय ।
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय
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जिह्मकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय ॥६॥
कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय
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सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय।
हेमकान्तिचाकचिक्यकर्मणे नमः शिवाय
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सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय॥७॥
जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय
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चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय ।
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय
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सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय॥८॥
यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय
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दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय ।
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय
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अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय ॥९॥
दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय
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अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय ।
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय
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उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय ॥१०॥
राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय
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राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय ।
राजकोरकावतंसभासिने नमः शिवाय
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राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय ॥११॥
दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय
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सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय ।
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय
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दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय ॥१२॥
सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय
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सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय ।
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय
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सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय ॥१३॥
स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय
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माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय।
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय
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नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय ॥१४॥
सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय
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पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय ।
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय
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शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय ॥१५॥
पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय
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देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय
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स्वेहितप्रसन्नकामदोह ते नमः शिवाय ॥१६॥
मङ्गलप्रदाय गोतुरंग ते नमः शिवाय
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गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय।
संगरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय
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अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय ॥ १७॥
ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय
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आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय
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गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय ॥१८॥
त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय
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दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय
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रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय ॥१९॥
न्यङ्कुपाणये शिवंकराय ते नमः शिवाय
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सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय ।
पङ्कभीषिताभयंकराय ते नमः शिवाय
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पङ्कजाननाय शंकराय ते नमः शिवाय ॥२०॥
कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय
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शर्मदाय नर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय ।
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय
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कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय ॥२१॥
विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय
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शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय ।
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय
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कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय ॥२२॥
अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय
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सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय ।
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय
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विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय ॥२३॥
सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय
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भावलभ्य तावकप्रसाद ते नमः शिवाय ।
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय
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तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय ॥२४॥
भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय
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शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय ।
भक्तसंकटापहारयोगिने नमः शिवाय
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युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय ॥२५॥
अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय
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शंतमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय ।
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय
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जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय ॥२६॥
शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय
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पालिने विरिञ्चितुण्डमालिने नमः शिवाय ।
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय
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शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय ॥२७॥
शिवपञ्चाक्षरमुद्रां चतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् ।
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः ॥२८॥
- शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को आत्मिक ऊर्जा, शांति, और संतुलन मिलता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और भक्त को उनके ध्यान में लगाता है।
FAQs”
Q.1 :यह स्तोत्र किसकी स्तुति में है?
Ans. यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और गुणों की स्तुति में है।
Q.2: शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का अर्थ क्या है?
Ans. शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का अर्थ है "भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र की स्तुति"।
Q.3: यह स्तोत्र किस ऋषि द्वारा रचा गया है?
Ans. इस स्तोत्र को ऋषि आदि शंकराचार्य द्वारा रचा गया है।
Q.4: क्या इस स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति मिलती है?
Ans. हां, शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति और सुकून मिलता है।
Q.5: शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ किस समय करें?
Ans. शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ सुबह और शाम के समय में करना लाभकारी होता है।
Q.6: क्या इस स्तोत्र के पाठ से ध्यान लगता है?
Ans. हां, इस स्तोत्र के पाठ से ध्यान लगता है और मन शांत होता है।