माँ आद्या काली हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं, जिन्हें समय, शक्ति और परिवर्तन की देवी माना जाता है। “आद्या” शब्द का अर्थ होता है “प्रारंभिक” या “प्रथम”, जो यह संकेत करता है कि यह शक्ति आदिकाल से अस्तित्व में है। काली माँ का यह स्वरूप अत्यंत रहस्यमय, तांत्रिक, शक्तिशाली और साधकों के लिए कल्याणकारी माना गया है।
श्री काली तांडव स्तोत्रम्: अर्थ, लाभ, महत्व और पाठ विधि
माँ आद्या काली का स्वरूप
माँ काली का स्वरूप अति भयानक होते हुए भी अत्यंत कल्याणकारी है। उनके चार हाथ होते हैं – एक में तलवार, एक में असुर का कटा हुआ सिर, तीसरे हाथ से आशीर्वाद और चौथे हाथ से अभयदान देती हैं। वह गले में नरमुंड की माला, कमर में अस्थि-माला और लाल जिह्वा बाहर निकाले हुए होती हैं। उनका यह स्वरूप अज्ञान और भय पर विजय का प्रतीक है।
आद्या काली स्तोत्र क्या है?
आद्या काली स्तोत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक स्तुति है जो माँ काली के आद्य स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है। यह स्तोत्र संस्कृत और हिंदी दोनों में उपलब्ध है और इसका पाठ साधकों को मानसिक, आत्मिक और भौतिक रूप से बल प्रदान करता है। स्तोत्र में देवी के विभिन्न नाम, रूप, शक्तियाँ और गुणों का वर्णन होता है।
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आद्या काली स्तोत्र पाठ विधि
समय: अमावस्या, काली चतुर्दशी, नवरात्रि की रात्रि को उपयुक्त समय माना जाता है।
स्थान: शांत, स्वच्छ एवं पवित्र स्थान जैसे घर का मंदिर या साधना कक्ष।
सामग्री: लाल फूल, दीपक, काले तिल, मिठाई, जल कलश, अगरबत्ती।
आद्या काली स्तोत्र पाठ कैसे करे
स्थान को स्वच्छ करके आसन ग्रहण करें।
माँ काली की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
दीप प्रज्वलित करें, जल से आचमन करें।
बीज मंत्र – “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” – का 108 बार जाप करें।
फिर आद्या काली स्तोत्र का श्रद्धा सहित पाठ करें।
आद्या काली स्तोत्र साधना के लाभ
भय, रोग और शत्रुओं से रक्षा।
आत्मबल, साहस और निर्णय क्षमता में वृद्धि।
तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति।
आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति।
जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति।
आद्या काली स्तोत्र सावधानियाँ
माँ काली की साधना में पवित्रता अनिवार्य है।
स्तोत्र का उच्चारण शुद्ध और श्रद्धा से करें।
गलत उद्देश्य से या बिना गुरु की अनुमति के यह साधना नहीं करनी चाहिए।
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मां आद्या काली को कैसे प्रसन्न करे ?
माँ आद्या काली को प्रसन्न करना साधक की श्रद्धा, नियम और नीयत (intention) पर निर्भर करता है। माँ काली तांत्रिक और शक्तिशाली देवी हैं, लेकिन वे अपने भक्तों पर सहज कृपा भी करती हैं यदि भक्त सच्चे मन से साधना करे।
1. नित्य “काली बीज मंत्र” का जाप करें
🔹 मंत्र: ॐ क्रीं कालिकायै नमः
🔹 प्रतिदिन सुबह या रात 108 बार रुद्राक्ष माला से जाप करें। यह माँ को अत्यंत प्रिय है।
2. काली स्तोत्र / चालीसा / कवच का पाठ करें
आद्या काली स्तोत्र, काली चालीसा, या काली कवच नियमित रूप से पढ़ना अत्यंत फलदायक है।
विशेष रूप से अमावस्या या कृष्ण पक्ष की रात को पाठ करें।
3. भक्तिपूर्ण भोग और पूजन करें
🔹 माँ को ये विशेष प्रिय है:
काले तिल
नारियल
लाल या काले फूल (विशेषकर गुड़हल)
मीठा भोग (जैसे गुड़, मिश्री, खीर)
4. अमावस्या की रात विशेष पूजा करें
शुद्ध होकर साधना करें
काली चित्र/मूर्ति के सामने दीपक जलाएं
काली अष्टक, कवच या स्तोत्र का पाठ करें
यह साधना रोग, भय और बाधा को दूर करती है
5. काली केतकी और गुड़हल के फूल अर्पित करें
माँ को गुड़हल (लाल) फूल अत्यंत प्रिय हैं
उन्हें यह अर्पित कर “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र जपें
6. काली मंदिर में रात्रिकालीन दर्शन करें
रात के समय (विशेषकर मध्य रात्रि साधना) अधिक प्रभावशाली मानी जाती है
काली मंदिर में जाकर दीप अर्पित करें
7. नियत और संयमित जीवन जिएं
ब्रह्मचर्य, अहिंसा और पवित्रता माँ की कृपा के लिए आवश्यक हैं
सच्चे हृदय और सात्विक आचरण से माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं
मातंगी स्तोत्र, महत्व, लाभ और साधना विधि | दस महाविद्या रहस्य
आद्या काली स्तोत्र ( मूल संस्कृत स्तोत्र )
ॐ नमः काल्यै चण्डिकायै नमः ।
जयति जय काली आद्या भवानी ।
त्रिनेत्रधारिणी कालरात्रि कल्याणी ॥
भीमदंष्ट्रा विकरालवदना ।
शमशानवासिनी मृत्युंजयदायिनी ॥
दिगम्बरा रक्तवसनधारिणी ।
नरमुण्डमालालङ्कृता करालिनी ॥
सिंहवाहिनी चण्डमुण्डविनाशिनी ।
महिषासुरमर्दिनी रक्तचक्षुषि ॥
कालभैरवप्रिये कालसङ्घारिणि ।
त्रिलोचनधारिणि सर्वसिद्धिदायिनी ॥
वज्रशूलधारिणि गदाधारिणि ।
अभयवरप्रदा भक्तवत्सला ॥
शिवशक्तिरूपिणी शक्तितत्त्वस्वरूपिणी ।
महाकाली, कालिका, करालवदना ॥
अघोरेश्वरि, तांत्रिकजनपूजिता ।
क्रीं बीजरूपिणी जगतां मातरः ॥
नमो नमः ते आद्ये काली महेश्वरि ।
भक्तानुकम्पिनि दुर्गे नमो नमः ॥
सर्वदुष्टविनाशिनि नमोऽस्तुते ।
सर्वरोगनिवारिणि नमोऽस्तुते ॥
सर्वशत्रुनाशिनि नमोऽस्तुते ।
सर्वकामप्रदायिनि नमोऽस्तुते ॥
ॐ क्रीं कालिकायै नमः ॥
ॐ ह्रीं श्रीं दुर्गायै नमः ॥
॥ इति श्री आद्या काली स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
ॐ नम आद्यायै ।
शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि आद्या स्तोत्रं महाफलम् ।
यः पठेत् सततं भक्त्या स एव विष्णुवल्लभः ॥ १॥
मृत्युर्व्याधिभयं तस्य नास्ति किञ्चित् कलौ युगे ।
अपुत्रा लभते पुत्रं त्रिपक्षं श्रवणं यदि ॥ २॥
द्वौ मासौ बन्धनान्मुक्ति विप्रवक्त्रात् श्रुतं यदि ।
मृतवत्सा जीववत्सा षण्मासं श्रवणं यदि ॥ ३॥
नौकायां सङ्कटे युद्धे पठनाज्जयमाप्नुयात् ।
लिखित्वा स्थापयेद्गेहे नाग्निचौरभयं क्वचित् ॥ ४॥
राजस्थाने जयी नित्यं प्रसन्नाः सर्वदेवता ।
ॐ ह्रीं ब्रह्माणी ब्रह्मलोके च वैकुण्ठे सर्वमङ्गला ॥ ५॥
इन्द्राणी अमरावत्यामविका वरुणालये।
यमालये कालरूपा कुबेरभवने शुभा ॥ ६॥
महानन्दाग्निकोने च वायव्यां मृगवाहिनी ।
नैऋत्यां रक्तदन्ता च ऐशाण्यां शूलधारिणी ॥ ७॥
पाताले वैष्णवीरूपा सिंहले देवमोहिनी ।
सुरसा च मणीद्विपे लङ्कायां भद्रकालिका ॥ ८॥
रामेश्वरी सेतुबन्धे विमला पुरुषोत्तमे ।
विरजा औड्रदेशे च कामाक्ष्या नीलपर्वते ॥ ९॥
कालिका वङ्गदेशे च अयोध्यायां महेश्वरी ।
वाराणस्यामन्नपूर्णा गयाक्षेत्रे गयेश्वरी ॥ १०॥
कुरुक्षेत्रे भद्रकाली व्रजे कात्यायनी परा ।
द्वारकायां महामाया मथुरायां माहेश्वरी ॥ ११॥
क्षुधा त्वं सर्वभूतानां वेला त्वं सागरस्य च ।
नवमी शुक्लपक्षस्य कृष्णसैकादशी परा ॥ १२॥
दक्षसा दुहिता देवी दक्षयज्ञ विनाशिनी ।
रामस्य जानकी त्वं हि रावणध्वंसकारिणी ॥ १३॥
चण्डमुण्डवधे देवी रक्तबीजविनाशिनी ।
निशुम्भशुम्भमथिनी मधुकैटभघातिनी ॥ १४॥
विष्णुभक्तिप्रदा दुर्गा सुखदा मोक्षदा सदा ।
आद्यास्तवमिमं पुण्यं यः पठेत् सततं नरः ॥ १५॥
सर्वज्वरभयं न स्यात् सर्वव्याधिविनाशनम् ।
कोटितीर्थफलं तस्य लभते नात्र संशयः ॥ १६॥
जया मे चाग्रतः पातु विजया पातु पृष्ठतः ।
नारायणी शीर्षदेशे सर्वाङ्गे सिंहवाहिनी ॥ १७॥
शिवदूती उग्रचण्डा प्रत्यङ्गे परमेश्वरी ।
विशालाक्षी महामाया कौमारी सङ्खिनी शिवा ॥ १८॥
चक्रिणी जयधात्री च रणमत्ता रणप्रिया ।
दुर्गा जयन्ती काली च भद्रकाली महोदरी ॥ १९॥
नारसिंही च वाराही सिद्धिदात्री सुखप्रदा ।
भयङ्करी महारौद्री महाभयविनाशिनी ॥ २०॥
इति ब्रह्मयामले ब्रह्मनारदसंवादे आद्या स्तोत्रं समाप्तम् ॥ ॥
ॐ नम आद्यायै ॐ नम आद्यायै ॐ नम आद्यायै ॥
माँ आद्या काली स्तोत्रम् — हिंदी अर्थ सहित
भावार्थ श्लोक : मैं माँ काली और चण्डिका को नमन करता हूँ।
भावार्थ श्लोक 1 : जय हो! जय हो आद्या काली भवानी की, जो तीन नेत्रों वाली, कालरात्रि के समान भयंकर किन्तु शुभफलदायिनी हैं।
भावार्थ श्लोक 2 : जिनकी दाढ़ें भयानक हैं, मुख विकराल है, जो श्मशान में निवास करती हैं और मृत्यु को जीतने वाली शक्ति प्रदान करती हैं।
भावार्थ श्लोक 3: जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं, रक्तवस्त्र धारण करती हैं, नरमुंडों की माला से सुशोभित हैं, और उनका स्वरूप कराल (भयानक) है।
भावार्थ श्लोक 4: सिंह पर सवार, चण्ड और मुण्ड जैसे राक्षसों का नाश करने वाली, महिषासुर का वध करने वाली और जिनकी आंखें रक्त के समान लाल हैं।
भावार्थ श्लोक 5: जो कालभैरव की प्रिया हैं, समय (काल) का संहार करने वाली हैं, तीन नेत्रों से युक्त हैं, और सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
भावार्थ श्लोक 6: जो वज्र, त्रिशूल और गदा धारण करती हैं, भय से मुक्त करने वाली हैं और अपने भक्तों से अत्यंत स्नेह करती हैं।
भावार्थ श्लोक 7: जो शिव की शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, सम्पूर्ण शक्ति तत्व की स्वरूपा हैं, जो महाकाली, कालिका और विकराल मुख वाली हैं।
भावार्थ श्लोक 8: जो अघोरेश्वर की देवी हैं, तांत्रिकों द्वारा पूजित हैं, “क्रीं” बीजमंत्र का स्वरूप हैं और समस्त जगत की जननी हैं।
भावार्थ श्लोक 9: हे आद्या काली! हे महेश्वरी! आपको बारंबार प्रणाम। हे भक्तों पर कृपा करने वाली दुर्गा! आपको नमन।
भावार्थ श्लोक 10: हे समस्त दुष्टों का नाश करने वाली! आपको नमस्कार। हे समस्त रोगों को दूर करने वाली देवी! आपको नमस्कार।
भावार्थ श्लोक 11 : हे सभी शत्रुओं का नाश करने वाली! आपको नमस्कार। हे सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी! आपको प्रणाम।
भावार्थ श्लोक 12 : “क्रीं” बीजमंत्र से युक्त माँ कालिका को नमस्कार। “ह्रीं श्रीं” बीजों से युक्त माँ दुर्गा को प्रणाम।
माँ आद्या काली स्तोत्र केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा स्रोत है। यह साधक को बाहरी और भीतरी अंधकार से निकालकर परम प्रकाश की ओर ले जाता है। श्रद्धा, भक्ति और नियम से इसका पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में हर प्रकार की बाधा को पार कर सकता है।
”FAQs”
1: क्या कोई भी व्यक्ति आद्या काली स्तोत्र का पाठ कर सकता है?
हाँ, लेकिन आद्या काली स्तोत्र पाठ के दौरान श्रद्धा, नियम और नित्य साधना की भावना जरूरी है।
2: आद्या काली स्तोत्र के पाठ का सबसे उपयुक्त समय क्या है?
रात्रि, विशेष रूप से अमावस्या को किया गया आद्या काली स्तोत्र पाठ अधिक फलदायक होता है।
3: क्या आद्या काली स्तोत्र से डरावने अनुभव हो सकते हैं?
यदि आद्या काली स्तोत्र श्रद्धा और नियम के साथ किया जाए, तो कोई भय नहीं होता। माँ स्वयं साधक की रक्षा करती हैं।
4: क्या आद्या काली स्तोत्र पाठ से सिद्धियाँ मिलती हैं?
आद्या काली स्तोत्र साधक को आत्मिक बल प्रदान करता है, जिससे वह आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो सकता है। सिद्धियाँ तभी मिलती हैं जब साधक का उद्देश्य पवित्र हो।
5: क्या आद्या काली स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए?
हाँ, आद्या काली स्तोत्र नित्य पाठ करने से मन, बुद्धि और आत्मा में स्थिरता आती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।