भारतवर्ष में हनुमान जी को संकटमोचक, बल, बुद्धि, और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। जब कोई भक्त जीवन में किसी बंधन, बाधा या संकट में होता है, तब वह हनुमान जी की शरण में जाकर उससे मुक्ति की प्रार्थना करता है। ऐसे ही एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र का नाम है — “हनुमान बंध मोचन स्तोत्र”।
यह स्तोत्र विशेष रूप से तांत्रिक, आध्यात्मिक या कर्मबद्ध बंधनों से मुक्ति दिलाने में उपयोगी माना जाता है। यह न केवल व्यक्ति को अदृश्य शक्तियों के प्रभाव से मुक्त करता है, बल्कि आत्मबल, सकारात्मक ऊर्जा और साहस भी प्रदान करता है।
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का मूल उद्देश्य
“बंध” का अर्थ होता है—बंधन, और “मोचन” का अर्थ है—मुक्ति। इसलिए, “बंध मोचन स्तोत्र” वह स्तोत्र है जो किसी भी प्रकार के मानसिक, शारीरिक, आत्मिक या तांत्रिक बंधनों से मुक्ति दिलाने वाला होता है।
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र किन-किन बंधनों से मुक्ति दिला सकता है?
दु:स्वप्न, भय, और मानसिक कष्ट
काले जादू या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव
शत्रुओं द्वारा की गई तांत्रिक बाधाएं
आत्मिक कमजोरी और आत्मविश्वास की कमी
अकस्मात आने वाले संकट या विघ्न
ग्रह दोष या कुंडली के बंधन
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र की रचना और विशेषता
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र की रचना संस्कृत में हुई है। इसमें हनुमान जी की महिमा, शक्ति, और उनकी सहायता से व्यक्ति की रक्षा और मोक्ष का वर्णन है। इसके श्लोक अत्यंत तेजस्वी और उच्च शक्ति से युक्त हैं।
पंचमुखी हनुमत कवच की शक्ति का अनावरण
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र पाठ विधि:
शुद्धता और नित्य नियम: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
स्थान: शांत, पवित्र और एकांत स्थान का चयन करें।
दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठें।
पवित्रता से 11, 21 या 108 बार स्तोत्र का पाठ करें।
संकल्प लें कि आप किस बंधन से मुक्ति चाहते हैं।
पाठ के अंत में आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र करने की विधि (व्रत व पाठ विधि)
1. दिन का चयन : सबसे उत्तम दिन: मंगलवार और शनिवार
विशेष अवसर: अमावस्या, पूर्णिमा, हनुमान जयंती, ग्रहण काल या संकट काल
2. प्रारंभिक तैयारी : प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें (लाल, भगवा या सफेद रंग उपयुक्त है)
व्रत या ब्रह्मचर्य पालन का संकल्प लें (विशेष रूप से पाठ की अवधि में)
पूजा स्थान स्वच्छ और शांत हो
एक लकड़ी या आसन पर बैठें, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें
3. पूजन सामग्री
हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र
दीपक (घी का), अगरबत्ती
लाल फूल, अक्षत (चावल), चंदन, रोली
लाल कपड़ा, नारियल, गुड़, चना, तुलसी
नैवेद्य: गुड़ व बूंदी/लड्डू
जल से भरा लोटा और आसन
4. संकल्प विधि (Sankalp) : अपने गोत्र, नाम, स्थान आदि का उच्चारण करते हुए यह संकल्प करें:
“मैं अमुक कारण (जैसे—बंधन, कष्ट, भय, तांत्रिक बाधा आदि) से मुक्ति के लिए हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का पाठ कर रहा हूँ। कृपया श्री हनुमान जी मेरी रक्षा करें।”
5. ध्यान और स्तुति : श्री हनुमान जी का ध्यान करें:
“ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥”
6. हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का पाठ
11, 21, 51 या 108 बार पाठ कर सकते हैं
विशेष संकट में लगातार 11 दिन तक प्रतिदिन 21 बार पाठ करने की परंपरा है
पाठ के समय रुद्राक्ष की माला से जाप करें
मन में कोई दूसरा विचार न लाएँ, केवल हनुमान जी का ध्यान करें
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र पाठ के लाभ
1. तांत्रिक प्रभावों से मुक्ति : यदि किसी पर कोई ऊपरी बाधा, काला जादू या नकारात्मक शक्ति का प्रभाव हो, तो यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावी होता है।
2. शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि : हनुमान जी की कृपा से मानसिक शांति, धैर्य और ऊर्जा प्राप्त होती है।
3. नौकरी, व्यापार, विवाह जैसी समस्याओं से छुटकारा : जीवन में चल रही जटिल बाधाओं में यह स्तोत्र वरदान सिद्ध हो सकता है।
4. ग्रह दोष निवारण : शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को शांत करता है।
5. भय और अवसाद से मुक्ति : जो लोग डिप्रेशन, भय, चिंता से ग्रसित हैं, उन्हें यह स्तोत्र विशेष लाभ देता है।
कब करें हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का पाठ?
मंगलवार और शनिवार को पाठ करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
पूर्णिमा, अमावस्या, होलिका दहन, दीपावली, हनुमान जयंती जैसे विशेष अवसरों पर इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
संकट के समय या किसी विशेष कार्य से पूर्व भी यह स्तोत्र पढ़ा जा सकता है।
अनुभव और श्रद्धा की शक्ति
अनेक भक्तों ने यह अनुभव किया है कि नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करने से उन्हें न केवल जीवन के संकटों से राहत मिली, बल्कि उनका आत्मबल भी बढ़ा। इसमें मुख्यतः श्रद्धा, नियम और हनुमान जी पर अटूट विश्वास ही प्रमुख कारक हैं।
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र
वीर बखानौ पवनसुत, जानत सकल जहान।
धन्य-धन्य अंजनितनय, संकट हर हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय हनुमान अड़ंगी।
महावीर विक्रम बजरंगी॥
जय कपीश जय पवनकुमारा।
जय जगवन्दन शील अगारा॥
जय उद्योत अमल अविकारी।
अरिमर्दन जय जय गिरिधारी॥
अंजनिउदर जन्म तुम लीन्हा।
जय जैकार देवतन कीन्हा॥४॥
बजी दुन्दुभी गगन गँभीरा।
सुरमन हर्ष असुरमन पीरा॥
काँपै सिन्धु लंक शंकाले।
छूटहि बन्दि देवतन जाने॥
ऋषी समूह निकट चलि आए।
पवनसुत के पद शिर नाये॥
बार-बार अस्तुति कर नाना।
निर्मल नाम धरा हनुमाना॥८॥
सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना।
दीन्ह बताय लाल फल खाना॥
सुनत वचन कपि अति हर्षाने।
रविरथ ग्रसा लाल फल माने॥
रथ समेत रवि कीन्ह अहारा।
शोर भयो तहँ अति भयकारा॥
बिन तमारि सुर मुनि अकुलाने।
तब कपीश की अस्तुति ठाने॥१२॥
सकल लोक वृत्तान्त सुनावा।
चतुरानन तब रवि उगिलावा॥
कहेउ बहोरि सुनहु बलशीला।
रामचन्द्र करिहै बहु लीला॥
तब तुम बलकर करब सहाई।
अबहि बसौ कानन में जाई॥
अस कहि विधि निजलोक सिधारा।
मिले सखन संग पवनकुमारा॥१६॥
खेलहिं खेल महा तरु तोरहिं।
केलि करहिं बहु पर्वत फोरहिं॥
जेहि गिरि चरण देत कपि धाई।
धलसो धस्कि रसातल जाई॥
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा।
निरखत रहे राम मगु आसा॥
मिले राम लै पवनकुमारा।
अति आनन्द समीर दुलारा॥२०॥
पुनि मुँदरी रघुपति सों पाई।
सीता खोज चलै कपिराई॥
शतयोजन जलनिधि विस्तारा।
अगम अगाध देवमन हारा॥
बिन श्रम गोखुर सरिस कपीशा।
लाँघि गये कपि कहि जगदीशा॥
सीताचरण शीश तिन नावा।
अजर अमर कर आशिष पावा॥२४॥
रहे दनुज उपवन रखवारी।
इकते एक महाभट भारी॥
तिनहिं मारि उपवन करि खीसा।
दहेउ लंक काँपेउ दशशीसा॥
सिया शोध लै पुनि फिर आये।
रामचन्द्र के पद शिर नाये॥
मेरु विशाल आनि पलमाहीं।
बाँधा सिन्धु निमिष इक माहीं॥२८॥
भे फणीश शक्तीवश जबहीं।
राम बिलाप कीन्ह बहु तबहीं॥
भवनसमेत सुषेणहिं लाये।
पवन सँजीवन को पुनि धाये॥
मगमहँ कालनेमि कहँ मारा।
सुभट अमित निशिचर संहारा॥
आनि सँजीवन शैलसमेता।
धरि दीन्हों जहँ कृपानिकेता॥३२॥
फणिपति केर शोक हरि लीन्हा।
बर्षि सुमन सुर जै जै कीन्हा॥
अहिरावण हरि अनुज समेता।
लैगो जहँ पाताल निकेता॥
तहाँ रहै देवीसुस्थाना।
दीन्ह चहै बलि काढि कृपाना॥
पवनतनय तहँ कीन्ह गुहारी।
कटकसमेत निशाचर मारी॥३६॥
रीछ कीशपति जहाँ बहोरी।
रामलखन कीन्हेसि इक ठौरी॥
सब देवन की बन्दि छुड़ाई।
सो कीरति नारद मुनि गाई॥
अक्षयकुमार दनुज बलवाना।
ताहि निपात्यो श्री हनुमाना॥
कुम्भकरण रावण कर भाई।
ताहि मुष्टिका दी कपिराई॥४०॥
मेघनाद पर शस्त्रहिं मारा।
पवनतनय सम को बरिआरा॥
मुरहा तनय नरान्तक जाना।
पलमहँ ताहि हता हनुमाना॥
जहँ लगि नाम दनुजकरि पावा।
पवनतनय तेहि मारि खसावा॥
जय मारुतसुत जन अनुकूला।
नाम कृशानु शोकसमतूला॥४४॥
जेहि जीवन कहँ संशय होइ।
अघसमेत तेहि संकट खोई॥
बन्दी परै सुमिर हनुमाना।
गदागरू लै चल बलवाना॥
यम कहँ बाँधि वामपद दीन्हा।
मृतक जिवाय हालबहु कीन्हा॥
सो भुजबल कहँ कीन्ह कृपाला।
अछत तुम्हार मोर असहाला॥४८॥
आरतहरन नाम हनुमाना।
शारद सुरपति कीन बखाना॥
संकट रहै न एक रती को।
ध्यान धरै हनुमान यती को॥
धावहु देखि दीनता मोरी।
काटहु बन्दि कहौं कर जोरी॥
कपिपति वेग अनुग्रह करहू।
आतुर आय दासदुख हरहू॥५२॥
रामशपथ मैं तुमहि खवाई।
जो न गुहारि लागि शिव जाई॥
बिरद तुम्हार सकल जग जाना।
भवभंजन सज्जन हनुमाना॥
यह बन्धनकर केतिक बाता।
नाम तुम्हार जगत सुखदाता॥
करहु कृपा जय जय जगस्वामी।
बार अनेक नमामि नमामी॥५६॥
भौमवार करि होमविधाना।
धूपदीप नैवेद्य सुजाना॥
मंगलदायक की लव लावै।
सुर नर मुनि तुरतहि फल पावै॥
जयति जयति जय जय जगस्वामी।
समरथ पुरुष कि अन्तर्यामी॥
अंजनितनय नाम हनुमाना।
सो तुलसी के कृपानिधाना॥६०॥
॥ दोहा ॥
जै कपीश सुग्रीव की, जय अंगद हनुमान।
राम लखण जय जानकी, सदा करहु कल्यान॥
बन्दीमोचन नाम यह भौमवार वरमान।
ध्यान धरै नर पाव ही निश्चय पद निर्वान॥
जो यह पाठ पढ़ै नित, तुलसी कहे विचारि।
परे न संकट ताहि तन, साखी हैं त्रिपुरारि॥
आरत बैन पुकारि कहौ कपिराज सुनौ बिनती इक म्हारी।
अंगद अरु, सुग्रीव महाबल देहु सदा बल शरण तिहारी॥
जामवन्त नल नील पवनसुत द्विविद मयन्द महाभट भारी।
दु:ख हरौ तुलसी जन की प्रभु दश वीरन की बलिहारी॥
॥ इति श्रीगोस्वामी तुलसीदासकृत हनुमान बंध मोचन स्तोत्र सम्पूर्ण ॥
हनुमान बंध मोचन स्तोत्र केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि एक आत्मिक औषधि है जो व्यक्ति को अदृश्य बंधनों से मुक्त कर, उसे ऊर्जा, साहस और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यदि इसे श्रद्धा और नियम के साथ पढ़ा जाए तो न केवल तांत्रिक बाधाएं, बल्कि आंतरिक भय और असफलताओं से भी छुटकारा मिल सकता है।
प्रमुख हिंदी स्तोत्र | ||
श्री दुर्गा देवी स्तोत्रम | ||
दस महाविद्या स्तोत्र | ||
माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र | ||
माँ धूमावती स्तोत्र | ||
भूतनाथ अष्टक | ||
श्री मारुति स्तोत्र | ||
बिल्वाष्टकम् |
FAQs”
प्रश्न 1: हनुमान बंध मोचन स्तोत्र को कौन पढ़ सकता है?
उत्तर: कोई भी श्रद्धालु, स्त्री या पुरुष, इस स्तोत्र को पढ़ सकता है। केवल पाठ करते समय पवित्रता और श्रद्धा का ध्यान रखें।
प्रश्न 2: क्या स्तोत्र का पाठ बिना गुरु के किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए है और इसे स्वयंपाठ किया जा सकता है। हालाँकि यदि किसी गुरु से दीक्षा मिल जाए तो यह और प्रभावी होता है।
प्रश्न 3: क्या इस स्तोत्र से काले जादू या ऊपरी बाधा दूर होती है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं, काले जादू, वशीकरण आदि के प्रभाव से मुक्ति के लिए प्रभावी माना गया है।
प्रश्न 4: स्तोत्र पाठ में क्या नियम पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पाठ करते समय नियम पालन जैसे ब्रह्मचर्य, शुद्ध आहार, संयमित दिनचर्या तथा नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न 5: हनुमान बंध मोचन स्तोत्र का असर कितने समय में दिखता है?
उत्तर: यह व्यक्ति की श्रद्धा, नियम और कर्म के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। कुछ लोगों को तत्काल लाभ होता है, जबकि कुछ को निरंतर पाठ से धीरे-धीरे सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
प्रश्न 6: क्या इसे मोबाइल या किताब से पढ़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, आप इसे किसी भी माध्यम से पढ़ सकते हैं, लेकिन भावना और एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 7: स्तोत्र पाठ करते समय क्या हनुमान चालीसा भी पढ़नी चाहिए?
उत्तर: हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ भी साथ में करने से संपूर्ण रक्षा कवच बनता है और प्रभाव बढ़ता है।