त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र : त्रिपुर सुंदरी देवी, दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख देवी हैं। इन्हें आदिशक्ति का अत्यंत सौम्य, कोमल, और सौंदर्य से परिपूर्ण रूप माना जाता है। यह ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री हैं और त्रिगुणात्मक प्रकृति (सत, रज, तम) की नियामिका हैं। इनकी उपासना से साधक को भौतिक सुख, आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध की प्राप्ति होती है।
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र, देवी त्रिपुरा की स्तुति में रचित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से साधक के जीवन में शुभता, धन, सौंदर्य, शक्ति और आध्यात्मिक तेज का विकास होता है।
त्रिपुर सुंदरी कौन हैं?
त्रिपुर सुंदरी देवी को ‘श्री विद्या’ के रूप में भी जाना जाता है। यह त्रिलोकों की अधीश्वरी हैं—स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल की सुंदरी। उनका स्वरूप लाल वर्ण, चार भुजाओं वाला, एक हाथ में पाश, दूसरे में अंकुश, तीसरे में धनुष और चौथे में बाण धारण करने वाला होता है। वह शिव के वाम भाग में विराजमान रहती हैं।
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का महत्व
आध्यात्मिक लाभ: यह स्तोत्र साधक को आत्मा की शुद्धि और परम सत्य की ओर ले जाता है।
मानसिक शांति: इसके नियमित पाठ से तनाव, चिंता और भय समाप्त होता है।
आकर्षण और सौंदर्य: देवी की कृपा से साधक का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली बनता है।
विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं: अविवाहित युवक-युवतियों के विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करता है।
सौभाग्य और धन की प्राप्ति: धन-धान्य, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
तारा देवी स्तोत्र: महत्व, लाभ, विधि
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें?
✅ त्रिपुर सुंदरी पाठ का उत्तम समय:
ब्राह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)
नवरात्रि, पूर्णिमा, शुक्रवार, और त्रयोदशी विशेष फलदायी होते हैं।
✅ व्रत और नियम:
शुद्ध आहार, सात्विक जीवन, और संयम जरूरी है।
पाठ से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
स्थान को शुद्ध कर रक्षित करें।
✅ पाठ विधि:
त्रिपुरा देवी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
उन्हें लाल पुष्प, चंदन, धूप, कपूर, और नैवेद्य अर्पित करें।
नीचे दिया गया त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र श्रद्धा पूर्वक पढ़ें।
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र से जुड़ी मान्यताएँ
यह स्तोत्र विशेष रूप से श्रीविद्या उपासकों द्वारा गुप्त रूप में साधना हेतु उपयोग किया जाता है।
इस स्तोत्र का पाठ कुंडलिनी जागरण में सहायक होता है।
यह कामदेव के प्रभाव जैसा आकर्षण देता है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र, सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् पाठ के फायदे
त्रिपुर सुंदरी की उपासना के लाभ
त्रिपुर सुंदरी देवी की उपासना से आत्मिक शांति, मनोवांछित फल, सौंदर्य, वैवाहिक सुख और अध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वह भक्ति, शक्ति और वैभव प्रदान करती हैं।
त्रिपुर सुंदरी भोग अर्पण में क्या चढ़ाएं?
त्रिपुर सुंदरी को विशेषकर केसरयुक्त खीर, मीठा पान, लाल पुष्प, मिश्री, सूखा मेवा और शहद अर्पण करना शुभ माना गया है।
त्रिपुर सुंदरी उपासना के लिए मंत्र
बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी लाभदायक है।
त्रिपुरासुंदरी सहस्त्रनाम का जाप भी उत्तम फल देता है।
त्रिपुर सुंदरी उपासना में सावधानियाँ
उपासना गोपनीय रखें।
अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
नियमबद्ध होकर ही पाठ करें।
देवी को केवल इच्छापूर्ति का साधन न बनाएं—श्रद्धा और समर्पण अनिवार्य है।
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र पाठ के लाभ
✅ 1. आध्यात्मिक उन्नति : इस स्तोत्र का नियमित पाठ साधक को आत्म-चेतना, ध्यान और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह श्रीविद्या की साधना का एक प्रभावशाली भाग है।
✅ 2. मन की शांति और मानसिक संतुलन : त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का जाप मन को शीतलता और स्थिरता प्रदान करता है। इससे तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
✅ 3. सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि : त्रिपुर सुंदरी देवी सौंदर्य और आकर्षण की अधिष्ठात्री हैं। उनके स्तोत्र का पाठ करने से चेहरा तेजस्वी बनता है, वाणी मधुर होती है और व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है।
✅ 4. विवाह योग और दांपत्य सुख : यह स्तोत्र विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है और सुखमय वैवाहिक जीवन प्रदान करता है। जो लोग अच्छे जीवनसाथी की कामना रखते हैं, उनके लिए यह अत्यंत लाभकारी है।
✅ 5. धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति : देवी त्रिपुरा लक्ष्मीस्वरूपा मानी जाती हैं। इस स्तोत्र के प्रभाव से घर में लक्ष्मी का वास होता है, व्यापार में लाभ होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
✅ 6. नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से रक्षा :त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का पाठ साधक को दुष्ट ग्रहों, नजर दोष, तंत्र बाधा और अन्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
✅ 7. कुंडलिनी जागरण में सहायक : यह स्तोत्र तांत्रिक दृष्टिकोण से अत्यंत शक्तिशाली है। नियमित पाठ से चक्रों का शुद्धिकरण होता है और कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है।
✅ 8. विद्या, बुद्धि और वाणी में वृद्धि : देवी को सरस्वतीस्वरूपा भी कहा गया है। उनके स्तोत्र का पाठ विद्यार्थियों, वक्ताओं और लेखकों के लिए विशेष फलदायक है।
श्री त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र
कदंबवनचारिणीं मुनिकदम्बकादंविनीं,
नितंबजितभूधरां सुरनितंबिनीसेविताम् |
नवंबुरुहलोचनामभिनवांबुदश्यामलां,
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|1|
कदंबवनवासिनीं कनकवल्लकीधारिणीं,
महार्हमणिहारिणीं मुखसमुल्लसद्वारुणींम् |
दया विभव कारिणी विशद लोचनी चारिणी,
त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये ॥|2|
कदंबवनशालया कुचभरोल्लसन्मालया,
कुचोपमितशैलया गुरुकृपालसद्वेलया |
मदारुणकपोलया मधुरगीतवाचालया ,
कयापि घननीलया कवचिता वयं लीलया ॥|3|
कदंबवनमध्यगां कनकमंडलोपस्थितां,
षडंबरुहवासिनीं सततसिद्धसौदामिनीम् |
विडंवितजपारुचिं विकचचंद्रचूडामणिं ,
त्रिलोचनकुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|4|
कुचांचितविपंचिकां कुटिलकुंतलालंकृतां ,
कुशेशयनिवासिनीं कुटिलचित्तविद्वेषिणीम् |
मदारुणविलोचनां मनसिजारिसंमोहिनीं ,
मतंगमुनिकन्यकां मधुरभाषिणीमाश्रये ॥|5|
स्मरेत्प्रथमपुष्प्णीं रुधिरबिन्दुनीलांबरां,
गृहीतमधुपत्रिकां मधुविघूर्णनेत्रांचलाम् |
घनस्तनभरोन्नतां गलितचूलिकां श्यामलां,
त्रिलोचनकुटंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|6|
सकुंकुमविलेपनामलकचुंबिकस्तूरिकां ,
समंदहसितेक्षणां सशरचापपाशांकुशाम् |
असेष जनमोहिनी मरूण माल्य भुषाम्बरा,
जपाकुशुम भाशुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम ॥|7|
पुरम्दरपुरंध्रिकां चिकुरबंधसैरंध्रिकां ,
पितामहपतिव्रतां पटुपटीरचर्चारताम् |
मुकुंदरमणीं मणिलसदलंक्रियाकारिणीं,
भजामि भुवनांबिकां सुरवधूटिकाचेटिकाम् ॥|8|
इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीमच्छंकराचार्य विरचितं त्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं संपूर्णम् ।
त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि एक साधना है जो साधक को न केवल भौतिक सुख, बल्कि आत्मिक चेतना और ईश्वरीय शक्ति से जोड़ती है। यदि श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक इसका पाठ किया जाए, तो जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन देखे जा सकते हैं।
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FAQs”
Q1. त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का पाठ कौन कर सकता है?
उत्तर: कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति जो नियमपूर्वक, शुद्ध आचरण और श्रद्धा के साथ करना चाहता है, वह इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है। स्त्रियाँ और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
Q2. क्या त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र का पाठ करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर होती है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र सौंदर्य और आकर्षण की अधिष्ठात्री देवी की स्तुति है। अतः विवाह संबंधित समस्याओं के निवारण हेतु यह अत्यंत प्रभावी है।
Q3. क्या इस स्तोत्र का पाठ दैनिक किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यदि समय और परिस्थिति की अनुमति हो तो इसे प्रतिदिन किया जा सकता है। अन्यथा शुक्रवार या नवरात्रि के दिन विशेष फलदायी माने जाते हैं।
Q4. त्रिपुर सुंदरी की उपासना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: आत्मज्ञान की प्राप्ति, जीवन में संतुलन, सौंदर्य, शांति और आध्यात्मिक उन्नति। साथ ही यह उपासना मनोवांछित फल की प्राप्ति में सहायक है।
Q5. क्या त्रिपुर सुंदरी उपासना में कोई गुरु आवश्यक है?
उत्तर: उच्च स्तरीय श्रीविद्या साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है, परंतु सामान्य श्रद्धा से किया गया स्तोत्र पाठ भी शुभ और फलदायक होता है।