हिंदू धर्म में भगवान शिव को “महादेव” कहा जाता है – अर्थात देवों के भी देव। वे संहारक हैं, लेकिन साथ ही करुणा और कृपा के प्रतीक भी हैं। उनके भक्तों के लिए कई मंत्र, स्तोत्र और कवच उपलब्ध हैं जो उनकी आराधना को सशक्त बनाते हैं। ऐसे ही एक महान स्तोत्र का नाम है “शिव रक्षा स्तोत्र”, जिसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु गाया या पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की आराधना करते हुए, उनके दिव्य गुणों का स्मरण कर रक्षात्मक शक्ति प्रदान करता है।
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शिव रक्षा स्तोत्र का इतिहास
शिव रक्षा स्तोत्र की रचना ऋषि याज्ञवल्क्य ने की थी। ऐसा माना जाता है कि एक समय जब याज्ञवल्क्य ऋषि ने भगवान शिव से किसी संकट से रक्षा की प्रार्थना की, तब भगवान शिव ने उन्हें यह स्तोत्र प्रदान किया। इसलिए इसे स्वयं भगवान शिव का प्रदत्त रक्षात्मक स्तोत्र माना जाता है।
शिव रक्षा स्तोत्र का मूल उद्देश्य
शिव रक्षा स्तोत्र का उद्देश्य भक्त को जीवन के विभिन्न संकटों, बाधाओं और भय से मुक्ति दिलाना है। यह स्तोत्र एक कवच की तरह काम करता है, जो नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा, रोग और मानसिक तनाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
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शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ – एक आध्यात्मिक कवच
इस स्तोत्र में भगवान शिव की विभिन्न शक्तियों का आवाहन किया गया है। इसमें वेदों, पुराणों और उपनिषदों के आधार पर भगवान शिव की महिमा का वर्णन है।
शिव रक्षा स्तोत्र की पंक्तियों में वर्णित भाव:
भव (जीवन) से रक्षा करने की प्रार्थना।
मृत्युंजय के रूप में भगवान से अमरत्व की कामना।
त्रिनेत्रधारी शिव से दिव्य दृष्टि की याचना।
नीलकंठ रूप में विष का हरण करने की शक्ति।
भूतनाथ के रूप में समस्त प्रेतबाधा से रक्षा।
शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
1. समय और स्थान का चयन :
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे उत्तम समय है।
शांत और पवित्र स्थान चुनें, जहां ध्यान में कोई विघ्न न हो।
2. शिवलिंग या चित्र के सामने बैठें : दीपक जलाएं, अगरबत्ती लगाएं और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
3. शुद्ध उच्चारण करें : संस्कृत में स्तोत्र का पाठ करें या शुद्ध उच्चारण से हिंदी अनुवाद का भी उपयोग कर सकते हैं।
4. नित्य पाठ करने की आदत बनाएं : नियमित रूप से इसका पाठ करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल बढ़ता है।
शिव रक्षा स्तोत्र के लाभ
1. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा : इस स्तोत्र का पाठ करने से घर, शरीर और मन से सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
2. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य : भगवान शिव का ध्यान तनाव, चिंता, और भय को दूर करता है। यह स्तोत्र रोग निवारण में भी सहायक है।
3. शत्रु बाधा से मुक्ति : शिव रक्षा स्तोत्र शत्रुओं द्वारा किए गए कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
4. आध्यात्मिक जागरण : शिव रक्षा स्तोत्र आत्मा को ऊर्जावान बनाता है, ध्यान और साधना में सहायता करता है।
5. रोगों में लाभकारी : विशेष रूप से मानसिक रोग, अनिद्रा, भय, और अवसाद में यह स्तोत्र चमत्कारी रूप से कार्य करता है।
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शिव रक्षा स्तोत्र और जीवन में उसका प्रभाव
ध्यान में गहराई: स्तोत्र के नियमित पाठ से ध्यान में स्थिरता आती है।
घर में शांति: जहाँ इसका पाठ होता है, वहाँ क्लेश, कलह और अशांति नहीं टिकती।
संस्कार निर्माण: बच्चों को यह स्तोत्र सिखाने से उनमें आध्यात्मिक संस्कार उत्पन्न होते हैं।
आत्मबल: यह स्तोत्र व्यक्ति को हर परिस्थिति में धैर्य और साहस प्रदान करता है।
शिव रक्षा स्तोत्र की उपयोगिता आधुनिक जीवन में
आज के तनावग्रस्त और असुरक्षित वातावरण में, यह स्तोत्र एक दिव्य कवच बनकर काम करता है। विशेषतः नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा या पारिवारिक जीवन में जो अनिश्चितता है, उसे संतुलित करने हेतु यह स्तोत्र रामबाण उपाय है।
शिव रक्षा स्तोत्र से जुड़ी सावधानियाँ
इसका पाठ पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
उच्चारण में त्रुटि न हो; यदि संस्कृत कठिन लगे तो हिंदी अनुवाद के साथ करें।
पाठ के बाद भगवान शिव का स्मरण कर, प्रणाम अवश्य करें।
शिव रक्षा स्तोत्र
विनियोग-ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः,
श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः।
चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।1।
गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।2।
गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।
नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।3।
घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।4।
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।
भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।5।
हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।6।
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।
उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।7।
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।
चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।8।
एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।9।
गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।10।
अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।11।
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।12।
।इति श्री शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम।
शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ हिंदी में
इस स्तोत्र के ऋषि याज्ञवल्क्य हैं, देवता सदाशिव हैं, छंद अनुष्टुप है। इसका जप भगवान शिव की प्रसन्नता और भक्त की रक्षा हेतु किया जाता है।
जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करते हुए “जय” शब्द का उच्चारण करता है, उसे भय नहीं होता। न उसे मृत्यु का भय होता है, न पाप उसका कुछ बिगाड़ सकते हैं।
भगवान शिव मेरे सिर की रक्षा करें, त्रिनेत्रधारी मेरी आंखों की रक्षा करें। नीलकंठ मेरी गर्दन की रक्षा करें, और हरि (शिव का स्वरूप) मेरे हृदय की रक्षा करें।
मेरे पेट की रक्षा रुद्र करें, मेरी पीठ की रक्षा पिनाकधारी (धनुषधारी शिव) करें। कमर की रक्षा महादेव करें और नाभि (मणिपूर चक्र) की रक्षा गणों के अधिपति गणेश करें।
मेरे गुप्त अंगों की रक्षा समस्त विश्व के स्वामी करें। मोक्ष के मूल स्वरूप सदाशिव मेरी आत्मा की रक्षा करें। मेरी जांघों की रक्षा ईश्वर करें और घुटनों की वृषवाहन (बैल पर सवार शिव) करें।
मेरी पिंडलियों की रक्षा जटाधारी शिव करें, टखनों की रक्षा स्थिरस्वरूप शिव करें। मेरे चरणों की रक्षा ईश्वर करें और समस्त शरीर की रक्षा भगवान शंकर करें।
दिन, संध्या और रात्रि में सदैव मेरी रक्षा सदाशिव करें, जो अव्यक्त हैं, जो वेदों का ज्ञान देने वाले और वेदों के सार को धारण करने वाले हैं।
जो देव अनादि, अनंत और लिंगरूप में स्थित हैं, जो महेश्वर हैं, जो एक होकर भी अनेक रूपों में पूजे जाते हैं – वही मेरी रक्षा करें।
महादेव जो भोग और मोक्ष दोनों देने में समर्थ हैं, मेरी रक्षा करें। उनकी कृपा से मैं सभी तीनों लोकों में भी दुर्लभ (दु:खों से रहित) हो जाऊँ।
जो व्यक्ति इस उत्तम शिव रक्षा स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करता है, उसे कोई पीड़ा नहीं होती और कोई भय उसे छू भी नहीं सकता। वह व्यक्ति हर स्थान पर विजय प्राप्त करता है, दीर्घायु होता है और जैसे योगी ध्यान करते समय प्रेत बाधा से बचे रहते हैं, वैसे ही वह भी सुरक्षित रहता है।
याज्ञवल्क्य कहते हैं – इस प्रकार भगवान महादेव ने मुझे (बुद्धिमान याज्ञवल्क्य को) यह शिवरक्षा स्तोत्र, जो त्रैलोक्य विजय कराने वाला है, प्रसन्न होकर प्रदान किया। इस प्रकार शिव रक्षा स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ।
श्री शिव पञ्चकम् स्तोत्र
प्रालेयाचलमिन्दुकुन्दधवलं गोक्षीरफेनप्रभं
भस्माभ्यङ्गमनङ्गदेहदहनज्वालावलीलोचनम् ।
विष्णुब्रह्ममरुद्गणार्चितपदं ऋग्वेदनादोदयं
वन्देऽहं सकलं कलङ्करहितं स्थाणोर्मुखं पश्चिमम् ॥ १॥
गौरं कुङ्कुमपङ्किलं सुतिलकं व्यापाण्डुकण्ठस्थलं
भ्रूविक्षेपकटाक्षवीक्षणलसत्संसक्तकर्णोत्पलम् ।
स्निग्धं बिम्बफलाधरं प्रहसितं नीलालकालङ्कृतं
वन्दे याजुषवेदघोषजनकं वक्त्रं हरस्योत्तरम् ॥ २॥
संवर्ताग्नितटित्प्रतप्तकनकप्रस्पर्द्धितेजोमयं
गम्भीरध्वनि सामवेदजनकं ताम्राधरं सुन्दरम् ।
अर्धेन्दुद्युतिभालपिङ्गलजटाभारप्रबद्धोरगं
वन्दे सिद्धसुरासुरेन्द्रनमितं पूर्वं मुखं शूलिनः ॥ ३॥
कालाभ्रभ्रमराञ्जनद्युतिनिभं व्यावृत्तपिङ्गेक्षणं
कर्णोद्भासितभोगिमस्तकमणि प्रोत्फुल्लदंष्ट्राङ्कुरम् ।
सर्पप्रोतकपालशुक्तिसकलव्याकीर्णसच्छेखरं
वन्दे दक्षिणमीश्वरस्य वदनं चाथर्ववेदोदयम् ॥ ४॥
व्यक्ताव्यक्तनिरूपितं च परमं षट्त्रिंशतत्त्वाधिकं
तस्मादुत्तरतत्वमक्षरमिति ध्येयं सदा योगिभिः ।
ओङ्कारदि समस्तमन्त्रजनकं सूक्ष्मातिसूक्ष्मं
परं वन्दे पञ्चममीश्वरस्य वदनं खव्यापितेजोमयम् ॥ ५॥
एतानि पञ्च वदनानि महेश्वरस्य ये कीर्तयन्ति पुरुषाः सततं प्रदोषे ।
गच्छन्ति ते शिवपुरीं रुचिरैर्विमानैः क्रीडन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥
॥ इति शिवपञ्चाननस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
शिव रक्षा स्तोत्र न केवल एक पवित्र स्तोत्र है, बल्कि एक दिव्य कवच है जो हमें जीवन के समस्त भय, शोक और संकटों से सुरक्षित रखने का वचन देता है। यह नित्य पाठ के माध्यम से मानसिक बल, आत्मबल और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली उपाय है। यदि आप शिवभक्त हैं, तो यह स्तोत्र आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सकता है। इसका पाठ न केवल आपको सुरक्षा देगा, बल्कि आपके भीतर की शक्ति को भी जागृत करेगा।
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FAQs”
शिव रक्षा स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए?
उत्तर: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को संध्या समय इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
क्या शिव रक्षा स्तोत्र को बिना दीक्षा के पढ़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, शिव रक्षा स्तोत्र को कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति पढ़ सकता है। दीक्षा आवश्यक नहीं है।
शिव रक्षा स्तोत्र को कितनी बार पढ़ना चाहिए?
उत्तर: प्रतिदिन एक बार पढ़ना पर्याप्त है। संकट की स्थिति में तीन बार भी पढ़ सकते हैं।
क्या शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ बिना संस्कृत ज्ञान के किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, आप हिंदी लिपि में लिखा हुआ शिव रक्षा स्तोत्र पढ़ सकते हैं। मुख्य बात श्रद्धा और भावना है।
क्या शिव रक्षा स्तोत्र से शारीरिक लाभ भी होता है?
उत्तर: हाँ, शिव रक्षा स्तोत्र मानसिक तनाव, डर, चिंता व नींद से जुड़ी समस्याओं में राहत देता है।
शिव रक्षा स्तोत्र पाठ के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: भगवान शिव को नमस्कार करें, जल या बिल्वपत्र अर्पित करें और अपने मन की बात कहें।