माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् – लाभ व पाठ विधि

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् के लाभ, पाठ विधि

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् – लाभ व पाठ विधि

हिंदू धर्म में दश महाविद्याओं का विशेष महत्व है। इनमें से एक प्रमुख देवी हैं माँ बगलामुखी, जिन्हें “स्तम्भन” और “वशीकरण” की देवी माना जाता है। उनके 108 पावन नामों को समर्पित “माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्” एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे श्रद्धा और नियम से पढ़ने से भक्त को अद्भुत शक्ति, विजय और शत्रुनाश की प्राप्ति होती है।

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Table of Contents

माँ बगलामुखी का परिचय

माँ बगलामुखी को पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। उनका स्वरूप पीले रंग का होता है, जो ज्ञान, ऊर्जा और विजय का प्रतीक है। यह देवी विशेष रूप से तब पूजी जाती हैं जब किसी को शत्रु बाधा, कोर्ट केस, विवाद या मानसिक अस्थिरता से छुटकारा चाहिए होता है।

अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र क्या है?

“अष्टोत्तर शतनाम” का अर्थ होता है — देवी के 108 दिव्य नामों की स्तुति। ये नाम देवी के विभिन्न स्वरूपों, शक्तियों, गुणों और कार्यों का उल्लेख करते हैं। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से न केवल साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, बल्कि सांसारिक समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है।

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के लाभ

शत्रु विनाश: यह स्तोत्र शत्रुओं को परास्त करने में अद्भुत प्रभाव देता है।

विवादों से मुक्ति: कोर्ट केस, राजनीति या किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या में विजय मिलती है।

वाणी पर नियंत्रण: इससे वाणी में प्रभाव उत्पन्न होता है, जिससे आप आकर्षक ढंग से संवाद कर सकते हैं।

मानसिक बल और आत्मविश्वास: यह स्तोत्र साधक के आत्मबल को दृढ़ करता है।

तांत्रिक बाधाओं से रक्षा: तांत्रिक क्रियाओं या काले जादू से सुरक्षा देता है।

ध्यान एवं साधना में सफलता: साधकों को गहरी साधना में मन स्थिर करने में सहायता मिलती है।

धन-धान्य की प्राप्ति: घर में स्थिरता और आर्थिक समृद्धि आती है।

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माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र पाठ की विधि

स्थान और समय: सुबह या रात में एकांत शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें।

वस्त्र और आसन: पीले वस्त्र धारण करें और पीले आसन पर बैठें।

मंत्र से शुरुआत करें:  ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।

पीले पुष्प अर्पित करें: हर नाम पर पीला पुष्प या हल्दी का चूर्ण अर्पित करें।

नियमितता: 21, 40 या 108 दिनों तक नियमित पाठ करने से अद्भुत फल मिलता है।

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र विशेष बातें

इस स्तोत्र में देवी के तांत्रिक और लौकिक दोनों स्वरूपों का वर्णन है।

यदि किसी व्यक्ति पर भूत-प्रेत बाधा या मानसिक समस्या है, तो यह स्तोत्र बहुत उपयोगी होता है।

माता का यह स्तोत्र साधना में सफलता, अदालती मामलों में विजय, और आत्मरक्षा के लिए उत्तम है।

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माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र सावधानियाँ

इस स्तोत्र का पाठ सत्य और धर्म के पक्ष में रहकर ही करें।

इसका दुरुपयोग न करें, अन्यथा परिणाम विपरीत हो सकते हैं।

गुरु मार्गदर्शन में करने से विशेष फलदायक होता है।

10 महाविद्याओं में बगलामुखी की भूमिका

दश महाविद्याएँ तंत्र-शास्त्र की दस परम शक्तियाँ हैं, जिन्हें स्वयं आदिशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इन महाविद्याओं में बगलामुखी देवी आठवें स्थान पर आती हैं, और उन्हें विशेष रूप से विरोधियों को स्तंभित करने वाली, शत्रुनाशिनी, और वाक्-संयम की अधिष्ठात्री देवी माना गया है।

देवी बगलामुखी की भूमिका:

  1. स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री:
    बगलामुखी देवी को स्तंभन शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ है किसी भी गतिशील शक्ति को रोकना – जैसे शत्रु की वाणी, विचार या कर्म। यह शक्ति मानसिक, दैहिक और आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में लागू होती है।

  2. न्याय और विजय की देवी:
    देवी बगलामुखी का आह्वान न्यायालयीन मामलों, शत्रुओं के षड्यंत्र से बचाव, राजनैतिक जीत, वाद-विवाद में सफलता आदि में किया जाता है। वे ‘वाक् सिद्धि’ प्रदान करती हैं जिससे वाणी प्रभावशाली और सत्य पर आधारित होती है।

  3. तंत्र साधना में विशेष स्थान:
    तांत्रिक साधकों के लिए बगलामुखी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनका बीजमंत्र “ह्लीं” अत्यंत प्रभावशाली और गूढ़ है, जो उच्च स्तर की सिद्धियाँ प्रदान करता है। इनकी उपासना रात्रि में, विशेषकर अमावस्या पर, की जाती है।

  4. सार्वभौमिक सत्ता की संरक्षक:
    बगलामुखी न केवल नाश की शक्ति हैं, बल्कि रक्षा की शक्ति भी हैं। वे किसी भी बुरे प्रभाव, तांत्रिक आक्रमण या नजर दोष से रक्षा करती हैं। उनकी पीली आभा (पीला वस्त्र, हल्दी आदि) शुभता और तेजस्विता का प्रतीक है।

  5. मानसिक स्थिरता की देवी:
    चित्त की चंचलता, भय, भ्रम, अनिर्णय जैसे मानसिक विकारों को समाप्त कर, साधक को स्थिर बुद्धि और आत्म-नियंत्रण प्रदान करना देवी बगलामुखी की विशेष कृपा है।

  6. महाविद्याओं में संतुलनकारी शक्ति:
    चूंकि दश महाविद्याएँ एक-दूसरे की पूरक हैं, बगलामुखी का स्थान इस श्रृंखला में इसलिए विशेष है क्योंकि वे नकारात्मक प्रवृत्तियों को ‘रोक’ देती हैं और साधक को एकाग्र करती हैं। यह नियंत्रण की शक्ति अन्य महाविद्याओं की उग्रता को संतुलन प्रदान करती है।

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्

ब्रह्मास्त्ररुपिणी देवी माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ।। १

।महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमंगला ।। २ ।।

ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छीन्नमस्ता च तारा काली सरस्वती ।। ३ ।।

जगत्पूज्या महामाया कामेशी भगमालिनी ।
दक्षपुत्री शिवांकस्था शिवरुपा शिवप्रिया ।। ४ ।।

सर्व-सम्पत्करी देवी सर्वलोक वशंकरी ।
वेदविद्या महापूज्या भक्ताद्वेषी भयंकरी ।। ५ ।।

स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च दुष्टस्तम्भनकारिणी ।
भक्तप्रिया महाभोगा श्रीविद्या ललिताम्बिका ।। ६ ।

मैनापुत्री शिवानन्दा मातंगी भुवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च नृपाराध्या नरोत्तमा ।। ७ ।।

नागिनी नागपुत्री च नगराजसुता उमा ।
पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्रप्रिया शुभा ।। ८ ।।

पीतगन्धप्रिया रामा पीतरत्नार्चिता शिवा ।
अर्द्धचन्द्रधरी देवी गदामुद्गरधारिणी ।। ९ ।।

सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योराग विवर्धिनी ।
विष्णुरुपा जगन्मोहा ब्रह्मरुपा हरिप्रिया ।। १० ।।

रुद्ररुपा रुद्रशक्तिश्चिन्मयी भक्तवत्सला ।
लोकमाता शिवा सन्ध्या शिवपूजनतत्परा ।। ११ ।।

धनाध्यक्षा धनेशी च नर्मदा धनदा धना ।
चण्डदर्पहरी देवी शुम्भासुरनिबर्हिणी ।। १२ ।।

राजराजेश्वरी देवी महिषासुरमर्दिनी ।
मधूकैटभहन्त्री देवी रक्तबीजविनाशिनी ।। १३ ।।

धूम्राक्षदैत्यहन्त्री च भण्डासुर विनाशिनी ।
रेणुपुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ।। १४ ।।

ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्रपूज्या च गुहमाता गुणेश्वरी ।। १५ ।।

वज्रपाशधरा देवी ज्ह्वामुद्गरधारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी बगला परमेश्वरी ।। १६ ।।

अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ।। १७ ।।

भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रहपीड़ानिवारणम् ।
राजानो वशमायांति सर्वैश्वर्यं च विन्दति ।। १८ ।।

नानाविद्यां च लभते राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्तिमुक्तिमवाप्नोति साक्षात् शिवसमो भवेत् ।। १९ ।।

।। इति श्री रुद्रयामले सर्व-सिद्धि-प्रद बगलाऽष्टोत्तर-शतनाम-स्तोत्र ।।

“माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्” केवल एक स्तोत्र नहीं है, यह एक आध्यात्मिक कवच है, जो साधक को हर संकट से उबारता है और आत्मिक बल प्रदान करता है। इसका पाठ नियमपूर्वक और श्रद्धा से करने पर निश्चित रूप से सिद्धि, सफलता, और शांति की प्राप्ति होती है।

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माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् 

FAQs”

Q1: क्या बिना दीक्षा के बगलामुखी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं?

उत्तर: हां, यदि आप श्रद्धा और नियम से पढ़ते हैं तो यह फलदायक होता है, परंतु तांत्रिक प्रयोगों के लिए गुरु दीक्षा अनिवार्य होती है।

Q2: स्तोत्र का पाठ कितने समय में पूरा होता है?

उत्तर: लगभग 10–15 मिनट में 108 नामों का पाठ पूर्ण हो जाता है।

Q3: क्या इसे घर पर महिलाएं भी पढ़ सकती हैं

उत्तर: हां, माँ बगलामुखी स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायक हैं।

Q4: क्या इस स्तोत्र को संकट के समय पढ़ना अधिक लाभकारी होता है?

उत्तर: हां, विशेषकर संकट के समय यह स्तोत्र चमत्कारी रूप से काम करता है।

Q5: क्या नवरात्रि में इसका पाठ विशेष फल देता है?

उत्तर: जी हां, नवरात्रि में विशेष पूजा और पाठ से सौगुना फल मिलता है।

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