कनकधारा स्तोत्र : कनकधारा स्तोत्र एक उत्कृष्ट संस्कृत श्लोक है जो आदि शंकराचार्य द्वारा रचित किया गया है। यह स्तोत्र माता लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
कनकधारा स्तोत्र का महत्व : कनकधारा स्तोत्र को पढ़ने और सुनने से धन, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र की शक्ति से माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है और वह अपने भक्तों को आर्थिक संघर्षों से निकालती हैं।
कनकधारा स्तोत्र का अर्थ
श्री शंकराचार्य की प्रशंसा : कनकधारा स्तोत्र के पाठ से हम आदि शंकराचार्य की महिमा का गुणगान करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं। उन्होंने इस स्तोत्र के माध्यम से माता लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी।
आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से न केवल आर्थिक संघर्षों का निवारण होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उत्थान और शांति का अनुभव भी प्रदान करता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ और महत्त्व
गणेश और लक्ष्मी मंत्र : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से पहले गणेश मंत्र का जाप करना सुझावित है, जिससे शुभकारी ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके बाद लक्ष्मी मंत्र का पाठ करना धन, सौभाग्य, और समृद्धि के लिए वरदान का स्त्रोत बनता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ सुनने और पढ़ने के लाभ: कनकधारा स्तोत्र को सुनने और पढ़ने से धन लाभ, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस स्तोत्र को पढ़ने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
कनकधारा स्तोत्र के चमत्कार
आर्थिक संघर्षों का निवारण : कनकधारा स्तोत्र के पाठ से आर्थिक संघर्षों का निवारण होता है और धन की प्राप्ति होती है। इसकी शक्ति से व्यक्ति अपने आर्थिक और पारिवारिक संघर्षों को परिहार करता है।
नेगेटिविटी को प्रतिरोध करना : कनकधारा स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति नेगेटिविटी को प्रतिरोध करता है और प्रसन्नता की ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित करता है। इससे व्यक्ति के मनोबल में वृद्धि होती है और उसका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
कनकधारा स्तोत्र की महिमा
आध्यात्मिक उत्थान और शांति : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक उत्थान होता है और उसे मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र मानव जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से पूर्ण करता है।
संस्कृति में कनकधारा स्तोत्र की महत्ता : कनकधारा स्तोत्र संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और लोग इसे धर्मिक सामग्री के रूप में मानते हैं। इसका पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ होता है।
कनकधारा स्तोत्र के पाठ का विशेष उपयोग
मंगल कामनाएं और आशीर्वाद : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से मानव जीवन में मंगल कामनाएं और आशीर्वाद मिलते हैं। इसकी शक्ति से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे उन्नति का मार्ग प्राप्त होता है।
दुखों का समाप्ति : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में दुखों का समाप्ति होता है और उसे स्थिरता और खुशियों का अनुभव होता है। इस स्तोत्र की शक्ति से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और समाधान का अनुभव होता है।
कनकधारा स्तोत्र का महत्व
संगीत का आनंद : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से मानव मन में संगीत का आनंद और शांति का अनुभव होता है। यह स्तोत्र मन को शांति और सुकून देता है और उसे अध्यात्मिक ऊर्जा से पूर्ण करता है।
मनोबल और आत्मविश्वास : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति का मनोबल और आत्मविश्वास मजबूत होता है। इसकी शक्ति से व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होता है और उसके जीवन में सफलता का अनुभव होता है।
धन लाभ के लिए कनकधारा स्तोत्र
समृद्धि और सौभाग्य : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र की शक्ति से व्यक्ति अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करता है और समृद्धि के साथ जीवन जीता है।
आर्थिक समृद्धि के लिए कनकधारा स्तोत्र : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसकी शक्ति से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संपन्नता और समृद्धि का अनुभव होता है।
श्री कनकधारा स्तोत्र
अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती
भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।
अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला
माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥
मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः
प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि ।
माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या
सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष –
मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि ।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध –
मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द –
मानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम् ।
आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं
भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥
बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या
हारावलीव हरिनीलमयी विभाति ।
कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला
कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारे –
र्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव ।
मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति –
र्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥
प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्
माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।
मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं
मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥7॥
दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा –
मस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।
दुष्कर्मघर्ममपनीय चिराय दूरं
नारायणप्रणयिनीनयनाम्बुवाहः ॥8॥
इष्टा विशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र –
दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।
दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां
पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥9॥
गीर्देवतेति गरुडध्वजसुन्दरीति
शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।
सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै
तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥10॥
श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै
रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणार्णवायै।
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै
पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै ॥11॥
नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै
नमोऽस्तु दुग्धोदधिजन्मभूत्यै।
नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै
नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै ॥12॥
सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि
साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि।
त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये ॥13॥
यत्कटाक्षसमुपासनाविधिः
सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।
संतनोति वचनाङ्गमानसै –
स्त्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥14॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते
धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥15॥
दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट –
स्वर्वाहिनीविमलचारुजलप्लुताङ्गीम्।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष –
लोकाधिनाथगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम् ॥16॥
कमले कमलाक्षवल्लभे
त्वं करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्गैः।
अवलोकय मामकिञ्चनानां
प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः ॥17॥
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमूभिरन्वहं
त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो
भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः ॥18॥
कनकधारा स्तोत्र एक अत्यंत प्राचीन और शक्तिशाली स्तोत्र है जो माता लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करता है। इसकी शक्ति से व्यक्ति को धन, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
FAQs”
Q.1 : कनकधारा स्तोत्र का पाठ किस समय किया जाना चाहिए?
Ans. कनकधारा स्तोत्र का पाठ सुबह और शाम करने से अधिक लाभ होता है।
Q.2 : क्या कनकधारा स्तोत्र को रोज़ाना पढ़ना चाहिए?
Ans. हां, यदि संभव हो तो कनकधारा स्तोत्र को रोज़ाना पढ़ना चाहिए, इससे धन, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Q.3 : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने के कितने दिनों में परिणाम दिखता है?
Ans.: कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने के कुछ ही दिनों में उसके प्रभाव महसूस होने लगते हैं। लेकिन, यह नियमित रूप से पढ़ा जाना चाहिए।
Q.4 : कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से किसे लाभ होता है?
Ans. कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से सभी व्यक्ति को धन, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Q.5 : क्या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से किसी को किसी भी विशेष काम में सफलता मिलती है?
Ans. हां, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को किसी भी काम में सफलता मिलती है और उसके जीवन में खुशियों की बौछार होती है।
Q.6 : क्या कनकधारा स्तोत्र का पाठ किसी अन्य स्तोत्र के साथ मिला कर किया जा सकता है?
Ans. हां, कनकधारा स्तोत्र का पाठ किसी अन्य स्तोत्र के साथ मिला कर किया जा सकता है। इससे आर्थिक समृद्धि के पारंपरिक प्राप्ति का अनुभव होता है।