श्री काली तांडव स्तोत्रम्: अर्थ, लाभ, महत्व और पाठ विधि

श्री काली तांडव स्तोत्रम्

श्री काली तांडव स्तोत्रम्: अर्थ, लाभ, महत्व और पाठ विधि

श्री काली तांडव स्तोत्रम् महाकाली की महिमा का एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो उनके उग्र रूप, तांडव नृत्य और ब्रह्मांडीय शक्ति का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को शक्ति, साहस, भयमुक्ति और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है।

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श्री काली तांडव स्तोत्रम् क्या है?

काली तांडव स्तोत्रम् भगवान शिव द्वारा रचित माना जाता है, जिसमें वे स्वयं माता काली के तांडव रूप की स्तुति करते हैं। यह स्तोत्र उनके उग्र, रक्षक और विनाशकारी स्वरूप का गूढ़ वर्णन करता है।

श्री काली तांडव स्तोत्र का महत्व

तांडव रूप की स्तुति: यह स्तोत्र माता काली के रौद्र और प्रचंड रूप को दर्शाता है, जो अधर्म का नाश और धर्म की रक्षा करती हैं।

आध्यात्मिक शक्ति: साधकों को आत्मबल, निडरता, नकारात्मकता से मुक्ति एवं मानसिक दृढ़ता मिलती है।

तांत्रिक महत्व: यह स्तोत्र तांत्रिक साधना और सिद्धियों के लिए विशेष उपयोगी है।

रोग निवारण: मान्यता है कि काली तांडव स्तोत्र से रोग, बाधा और शारीरिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है।

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श्री काली तांडव स्तोत्रम् के लाभ

लाभ विवरण
🔥 भय का नाश सभी प्रकार के मानसिक भय, नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेत बाधा से सुरक्षा
🧘 मानसिक शांति मन की एकाग्रता, चिंता से राहत और ध्यान के लिए उपयुक्त
🔋 आत्मबल साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का विकास
🛡️ बाधा निवारण जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा का शमन
🔮 साधना सिद्धि तांत्रिक एवं आध्यात्मिक साधना के लिए महत्त्वपूर्ण स्तोत्र

पाठ विधि (कैसे करें श्री काली तांडव स्तोत्र का पाठ)

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

काली माँ की मूर्ति/चित्र के सामने दीपक जलाएं।

रक्त पुष्प (लाल फूल), अक्षत, कर्पूर, धूप-दीप चढ़ाएं।

मंत्र बोलें: “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” 108 बार जप करें।

शुद्ध उच्चारण के साथ स्तोत्र का पाठ करें।

अंत में आरती और प्रार्थना करें।

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काली तांडव स्तोत्र से जुड़ी मान्यताएं

यह स्तोत्र इतना प्रभावशाली है कि शत्रु का नाश और बुरी शक्तियों का शमन करता है।

कई साधक इसे नित्य नियम से पढ़कर असाधारण मानसिक शक्ति प्राप्त करते हैं।

अमावस्या की रात इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।

श्री काली तांडव स्तोत्रम्

हुंहुंकारे शवारूढे नीलनीरजलोचने ।
त्रैलोक्यैकमुखे दिव्ये कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ १॥

प्रत्यालीढपदे घोरे मुण्डमालाप्रलम्बिते ।
खर्वे लम्बोदरे भीमे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ २॥

नवयौवनसम्पन्ने गजकुम्भोपमस्तनी ।
वागीश्वरी शिवे शान्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ३॥

लोलजिह्वे दुरारोहे नेत्रत्रयविभूषिते । var लोलजिह्वे हरालोके
घोरहास्यत्करे देवी कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ४॥ var घोरहास्यत्कटा कारे

व्याघ्रचर्म्माम्बरधरे खड्गकर्त्तृकरे धरे ।
कपालेन्दीवरे वामे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ५॥

नीलोत्पलजटाभारे सिन्दुरेन्दुमुखोदरे ।
स्फुरद्वक्त्रोष्टदशने कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ६॥

प्रलयानलधूम्राभे चन्द्रसूर्याग्निलोचने ।
शैलवासे शुभे मातः कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ७॥

ब्रह्मशम्भुजलौघे च शवमध्ये प्रसंस्थिते ।
प्रेतकोटिसमायुक्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ८॥

कृपामयि हरे मातः सर्वाशापरिपूरिते ।
वरदे भोगदे मोक्षे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ९॥

इत्युत्तरतन्त्रार्गतमं श्रीकालीताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

श्री काली तांडव स्तोत्रम् केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि एक दिव्य साधना है जो साधक को भयमुक्त, आत्मबल से परिपूर्ण और देवी काली की अनुकंपा से युक्त करता है। यह स्तोत्र हमें याद दिलाता है कि माँ काली का तांडव केवल विनाश का नहीं, बल्कि पुनर्जन्म और परिवर्तन का प्रतीक है।

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FAQs”

Q1: क्या काली तांडव स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है?

हाँ, लेकिन भक्तिभाव और श्रद्धा आवश्यक है। रात्रिकाल में शुद्ध मन से करें।

Q2: स्तोत्र का पाठ किस भाषा में करें – संस्कृत या हिंदी?

संस्कृत में पाठ श्रेष्ठ है, लेकिन हिंदी अर्थ के साथ समझकर करना अधिक प्रभावकारी होता है।

Q3: क्या स्तोत्र का पाठ रोज़ कर सकते हैं?

हाँ, प्रतिदिन या विशेष दिनों जैसे अमावस्या, नवरात्रि, या काली जयंती पर अवश्य करें।

Q4: स्तोत्र के साथ कौन-सा बीज मंत्र उपयोगी है?

“ॐ क्रीं कालिकायै नमः” बीज मंत्र के रूप में उत्तम है।

Q5: क्या स्तोत्र से भूत-प्रेत या तांत्रिक बाधा दूर होती है?

जी हाँ, यह स्तोत्र काली माँ के रौद्र रूप की कृपा से सभी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है।

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