दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र | देवी दुर्गा के 108 नाम, महत्व और पाठ विधि

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दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र | देवी दुर्गा के 108 नाम, महत्व और पाठ विधि

दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र, जिसे दुर्गा सप्तशती के एक भाग के रूप में जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र देवी दुर्गा की 108 नामों का वर्णन करता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खास तौर पर पूजा में उपयोग किया जाता है।  दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत यह स्तोत्र देवी दुर्गा के भक्तों के मन में शांति, सुख, समृद्धि और शक्ति का संचार करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में निरंतर सकारात्मकता और उन्नति आती है।

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र, सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् पाठ के फायदे

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दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र के 108 नाम

दुर्गा स्तोत्र में देवी दुर्गा के 108 अलग-अलग नामों का उल्लेख किया गया है। इन नामों के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करते हैं। ये नाम देवी दुर्गा की विविध शक्तियों और गुणों का वर्णन करते हैं, जैसे:

नाम शक्ति
1दुर्गाजो कठिनाईयों से बचाने वाली हैं।
2भवानीजो संसार की सृष्टि करने वाली हैं।
3जगताम्बाजो सम्पूर्ण जगत की माता हैं।
4महाक्रूरीजो महान क्रोधी हैं।
5शिवकांताजो शिव की पत्नी हैं।
6कात्यायनीजो कात्यायन ऋषि की पुत्री हैं।
7माहेश्वरीजो महेश्वर (शिव) की शक्ति हैं।
8चंद्रघंटाजिनकी घंटी चंद्रमा की तरह चमकती है।
9कूष्मांडाजो ब्रह्मांड की उत्पत्ति करती हैं।
10स्कंदमाताजो स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं।
11कात्यायनपुत्रीजो कात्यायन ऋषि की पुत्री हैं।
12रिद्धिविनायकजो रिद्धि और सिद्धि देने वाली हैं।
13महालक्ष्मीजो धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं।
14भगवतीजो सभी जगत की शक्ति हैं।
15त्रिनेत्राजिनके तीन नेत्र हैं।
16कालरात्रिजो काल के रूप में अत्यंत काली हैं।
17शंभवीजो शिव के साथ विराजमान हैं।
18बालाजो युवा और शक्तिशाली हैं।
19शाकम्भरीजो सम्पूर्ण पृथ्वी का पालन करती हैं।
20महाकालीजो समय के प्रवाह में अद्वितीय हैं।
21पद्मध्वजाजिनके हाथ में कमल का ध्वज है।
22सिद्धिदात्रीजो सभी सिद्धियों को देने वाली हैं।
23वागीश्वरीजो वाणी की देवी हैं।
24महापरमेश्वरीजो परमेश्वर की महाशक्ति हैं।
25चामुण्डाजो शत्रुओं का संहार करने वाली हैं।
26महाप्रभाजो अत्यधिक प्रभा (आलोक) वाली हैं।
27जयंतीजो विजय और सफलता की देवी हैं।
28वीरमाताजो वीरों की माता हैं।
29शान्तिजो शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
30चंद्रलेखाजिनकी रेखाएं चंद्रमा के समान हैं।
31अम्बिकाजो सभी जीवों की माता हैं।
32आद्यशक्तिजो प्रथम शक्ति हैं।
33रुद्राणीजो रुद्र (शिव) की शक्ति हैं।
34पार्वतीजो पर्वत (हिमालय) की पुत्री हैं।
35गंगाधरजो गंगा के साथ स्थित हैं।
36शंखध्वजाजिनके ध्वज में शंख है।
37रत्नमालाजो रत्नों से सुशोभित हैं।
38भगवती सर्वसिद्धिजो सभी सिद्धियों को देने वाली हैं।
39विशालाजिनका रूप अत्यंत विशाल है।
40सुमुखीजिनके चेहरे पर सुख और सौम्यता है।
41सुरेश्वरीजो देवताओं की ईश्वरानी हैं।
42विष्णुप्रियाजो विष्णु की प्रिय हैं।
43कौरवीजो कौरवों को पराजित करने वाली हैं।
44महाक्रूरीजो अपने क्रोध से संहार करती हैं।
45महाबलाजो अत्यधिक बलशाली हैं।
46महाशक्तिजिनकी शक्ति अनमोल है।
47यमुनातनयाजो यमुनाजी की पुत्री हैं।
48देवीकांताजो देवताओं की पत्नी हैं।
49भव्यशक्तिजिनकी शक्ति अत्यधिक भव्य है।
50महालवणजो महान रस और लवण से पूर्ण हैं।
51गरुड़वाहिनीजो गरुड़ पर सवारी करती हैं।
52चण्डिकाजो चण्ड रूप में शत्रुओं का संहार करती हैं।
53शरणागतवत्सलाजो शरणागत भक्तों की रक्षा करती हैं।
54त्रिशूलधारिणीजो त्रिशूल धारण करती हैं।
55स्वर्णपद्मवतीजो स्वर्ण से सुशोभित पद्म पर विराजमान हैं।
56नारायणीजो नारायण (विष्णु) की शक्ति हैं।
57भैरवीजो भयंकर और भयावह हैं।
58कामाख्याजो काम-वासना की देवी हैं।
59कालीजो काल का रूप हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड का नाश करने वाली हैं।
60शाक्तिप्रदाजो शक्ति देने वाली हैं।
61सर्वसिद्धिजो सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं।
62पञ्चमुखीजिनके पांच रूप (मुख) हैं।
63महाशक्तिजो अत्यधिक शक्तिशाली हैं।
64महाकल्पिकाजो महाकल्प (समय के अंत) की रूप हैं।
65महाप्रचण्डाजो अत्यधिक प्रचण्ड रूप में प्रकट होती हैं।
66सर्वशक्तिमयीजो सभी शक्तियों की स्वामिनी हैं।
67चंद्रवदनजिनका मुख चंद्रमा की तरह है।
68अन्नपूर्णाजो भोजन (अन्न) की देवी हैं।
69राक्षससंहारिणीजो राक्षसों का संहार करने वाली हैं।
70शत्रुनाशिनीजो शत्रुओं का नाश करती हैं।
71बालार्कमुखीजिनके मुख में बालरूप सूर्य है।
72सौम्याजो अत्यंत सौम्य और शांतिपूर्ण हैं।
73समृद्धिजो समृद्धि की देवी हैं।
74महाक्रूराजो अत्यंत क्रूरता से शत्रुओं को नष्ट करती हैं।
75सहस्त्रार्वमूर्तिजिनकी रूप में हजारों शक्तियां समाहित हैं।
76आद्य देवीजो आदिशक्ति हैं।
77जगदम्बाजो जगत की माँ हैं।
78देव्युक्तिजो देवियों की शक्ति हैं।
79देवमाताजो देवताओं की माता हैं।
80दुर्गमजो असाध्य और कठिन कार्यों में सहायक हैं।
81तारिणीजो संकटों से तारने वाली हैं।
82प्रकटमूर्तिजो साकार रूप में प्रकट होती हैं।
83अमृतवहिनीजो अमृत (अमरता) की वाहिका हैं।
84महासूरनिवारीजो महान असुरों का संहार करने वाली हैं।
85पतिव्रताजो पतिव्रत (पतिव्रता धर्म) की पालन करने वाली हैं।
86मनोकामनापूर्तिकारीजो मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
87प्रदूषणविनाशिनीजो सभी प्रदूषणों और पापों का नाश करती हैं।
88महाग्रंथिजो सभी समस्याओं का समाधान करने वाली हैं।
89सर्वपाप निवारिणीजो सभी पापों को नष्ट करने वाली हैं।
90कर्णधारिणीजो कर्ण (श्रवण) का संरक्षण करती हैं।
91सोमलक्ष्मीजो चंद्रमा की तरह सौम्य और शीतल हैं।
92त्रिपुरासुंदरीजो त्रिपुरा (तीन लोकों की सुंदरता) की देवी हैं।
93जयंतीरक्षकजो विजय की रक्षा करती हैं।
94सर्वकालिकाजो समय की संहारक देवी हैं।
95नारायणी चतुर्भुजजो नारायण की चतुर्भुज देवी हैं।
96विश्रान्तिकाजो विश्राम देने वाली हैं।
97पाण्डित्यवर्धिनीजो ज्ञान और पाण्डित्य को बढ़ाने वाली हैं।
98शरणागतवात्सलाजो शरण में आए भक्तों की रक्षा करती हैं।
99त्रिपुरेन्द्रिजो त्रिपुरा (तीन लोकों) की अधिष्ठात्री देवी हैं।
100महायोगिनीजो योग की देवी हैं।
101शुद्धात्मिकाजिनका मन अत्यंत शुद्ध है।
102पूत्स्मिताजो पुण्य और सौम्यता से भरी हुई हैं।
103सकलदुष्टनाशिनीजो सभी दुष्टों का नाश करने वाली हैं। |
104भगवती महाशक्तिजो महाशक्ति की प्रतीक हैं। |
105चिदानन्दमयीजो चेतना और आनंद की देवी हैं। |
106व्रजेश्वरीजो व्रज (गोवर्धन) की देवी हैं।
107सतीजो पत्नी धर्म की पालनकर्ता हैं।
108व्रजनन्दिनीजो व्रज (गोपियाँ) की पुत्री हैं। |

हनुमान तांडव स्त्रोत पाठ विधि: संपूर्ण पूजन प्रक्रिया, नियम और लाभ

दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का महत्व

दुर्गा सप्तशती का यह अंश भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक बल प्राप्त करने में मदद करता है। इस स्तोत्र का जाप विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी कष्ट या परेशानी से गुजर रहे होते हैं। यह उनके जीवन में देवी दुर्गा की उपस्थिति और संरक्षण को महसूस करने में सहायक होता है। इसके अलावा, यह स्तोत्र शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी मुश्किल या कठिन परीक्षा का सामना कर रहा है, तो यह स्तोत्र उसका मार्गदर्शन कर सकता है और उसे सफलता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।

अपराजिता स्तोत्र – दैवीय शक्ति का अनावरण और अपराजिता स्तोत्र – माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति और वीरता का अनावरण

दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का पाठ विधि

स्नान और शुद्धि: सबसे पहले स्नान कर शरीर को शुद्ध करें।

पुजन सामग्री: पूजा के लिए दीपक, फूल, कुमकुम, चंदन, फल और प्रसाद रखें।

पुजा स्थल: एक शुद्ध स्थान पर आसन बिछाकर बैठें।

स्मरण और संकल्प: देवी दुर्गा के नाम का स्मरण करते हुए संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करेंगे।

स्तोत्र का पाठ: अब दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का उच्चारण करें। यह सुनिश्चित करें कि आप पूरे 108 नामों का उच्चारण सही तरीके से करें।

आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में देवी दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

॥ श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥

ईश्वर उवाच

शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने।

यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥1॥

ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।

आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥2॥

पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।

मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥3॥

सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।

अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥4॥

शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।

सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी॥5॥

अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।

पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी॥6॥

अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।

वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥7॥

ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।

चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥8॥

विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।

बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना॥9॥

निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।

मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी॥10॥

सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।

सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥11॥

अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।

कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥12॥

अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।

महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥13॥

अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।

नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥14॥

शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।

कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥15॥

य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।

नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥16॥

धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।

चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥17॥

कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्।

पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥18॥

तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।

राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥19॥

गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण।

विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥20॥

भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।

विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम्॥21॥

॥ इति श्रीविश्वसारतन्त्रे दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ॥
दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जिसे देवी दुर्गा की पूजा में अवश्य शामिल किया जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और जीवन में सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र हर किसी के जीवन में सकारात्मकता लाने में सहायक है।
प्रमुख हिंदी स्तोत्र

दक्षिण काली स्तोत्र

श्री काली तांडव स्तोत्रम्

श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र

श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम

रामरक्षा स्तोत्र

कनकधारा स्तोत्र

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

श्री नारायण स्तोत्र

शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र

अपराजिता स्तोत्र

शिव तांडव स्तोत्र

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र

शिव षडाक्षरा स्तोत्र

शमशान काली स्तोत्र

काली हृदय स्तोत्र

पंचमुखी हनुमत कवच

श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

हनुमान तांडव स्त्रोत

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम

हनुमान बाहुक स्तोत्र

दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र

धूमावती अष्टक स्तोत्र

 

FAQs”

1. दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

यह स्तोत्र किसी भी दिन, विशेष रूप से नवरात्रि, शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान या शनिवार और मंगलवार जैसे शुभ दिनों पर किया जा सकता है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

2. क्या दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का जाप महिलाओं के लिए किया जा सकता है?

हां, दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का जाप महिलाएं भी कर सकती हैं। यह स्तोत्र सभी के लिए लाभकारी है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।

3. क्या दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का पाठ बिना संस्कृत के किया जा सकता है?

यदि आप संस्कृत नहीं जानते, तो आप इस स्तोत्र का हिंदी अनुवाद पढ़ सकते हैं या सुन सकते हैं। देवी दुर्गा की भक्ति में विश्वास और श्रद्धा महत्वपूर्ण हैं, न कि भाषा।

4. क्या इस स्तोत्र का जाप करने से जीवन में समस्याएँ हल हो सकती हैं?

हां, इस स्तोत्र का जाप मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति, दैवीय आशीर्वाद और समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।

5. दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र को कितनी बार पढ़ना चाहिए?

यह स्तोत्र कम से कम एक बार पढ़ना चाहिए, लेकिन यदि संभव हो तो इसे 108 बार या 1008 बार जपने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

6. क्या दुर्गाष्टोत्तर स्तोत्र का जाप करना विशेष किसी पूजा का हिस्सा है?

यह स्तोत्र किसी विशेष पूजा का हिस्सा हो सकता है, विशेषकर दुर्गा पूजा, नवरात्रि पूजा, या सामान्य रूप से देवी दुर्गा की पूजा के दौरान।

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